विनय शरण सिंह
सेठ के पेट बाढ़गे
दाऊ के खेत बाढ़गे
साहेब के पद बाढ़गे
अउ नेता के कद बाढ़गे
फेर गरीब मंगलू के जस के तस हाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
आफिस मन मा जंगलराज हे
काखरो नइये काबू
बघवा कस साहेब बइठे हे
अउ हुॅ॑ड़रा कस बाबू ।
काम तोला कराना हे त पइसा निकाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
दवा हे त डाक्टर नइये
डाक्टर हे त दवा नइये
एम्बुलेंस हा पंचर खड़े हे
टायर मा हवा नइये।
खटिया धरे हे सरकारी अस्पताल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
पंचायत के योजना मन के
हालचाल अइसे हे
पइसा सब खरचा हो गे
गांव जइसे के तइसे हे।
फेर सचिव हा हरियागे, सरपंच होगे लाल लाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
मुफत मा चांउर झोंकथे
हर महीना समारू
अउ चोबिस के भाव मा बेंचके
पीथे मस्त दारू।
मुफत के माल सबला बना दीस अलाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
लइका मन मोबाइल धरे
रातभर जागत हें
मास्टर मन पारी बांध के
इसकुल ले भागत हें ।
मेडम हा कोनजनी काला दिनभर करत रथे काल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
पुलिस थाना मा लिखाय हवे
परित्राणाय साधूनाम्
अब ठोंके बजाय के जघा मा
साधू के का काम ।
चित ला पट करना हे त सिक्का उछाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
गांव मा जतका कुंआ तरिया
रहिस तेन पटागे
मनरेगा मा बंधिया बनिस
तेन हा कुंवारे मा अंटागे।
पइसा मा पानी बिसा के खेत ला अपन पाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
इसकुल मा सरल रेखा अउ
वक्र रेखा ला पढ़े रेहेन
ये गरीबी रेखा के चक्कर मा
कभू नइ पड़े रेहेन।
गरीबी ला इंडिया मा छोंड़के रेखा भाग गे ससुराल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
उधार बाढ़ी इहां चले नहीं
सब हाल मा बेंचात हैं
जेन चना मुर्रा गांव मा मिले
तेन अब माल मा बेंचात है।
मालदार मन होवत जात हें अउरो मालामाल।
बीतगे आजादी के अठहत्तर एक साल।
फेर गरीब मंगलू के जस के तस हाल।
खैरागढ़
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