इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 18 अगस्त 2025

14 बिदिया अउ 64 कला



      मदन मंडावी  
 भारत के संसकिरति ह गियान अउ कला के अब्बड़ अकन भेद ला देखाथे। 14 बिदिया हा गियान के कहावत अउ बेवहार ल खोलथे ता 64" कला हर जीनगी के बड़अकन कला कौसल ल फोरियाथे। 64 कला पुरातन म सबो मनखे बर जरूरी माने जाथे। जेकर मेरन 64 कला होथे ओला पूरन मनखे माने जाथे। ये कला ला आदमी अपना के सफल हो सकत हे। 64 कला बेद- पुरान मनमा तको हे। ए कला के उपखन्ड घलोक हो सकत हे। एहा वात्स्यायन के कामसूत्र मा मिलथे। आवव बिद्या अउ कला काय आय तेला जानन _।
    14"बिदिया _
(1 ) बेद _ बेद ल पुराना सियानन मन लबेद काहय _सब लबेदा मा परे हन गा। बेद ल कोनो लिखे नइ गेहें, सकेला करे गेहे। घटना कुछ भी घटे जा सकथे। मानव के जीवन चरित्तर हर लबेद आय। जेमा बिग्यान, भूगोल, गणित, समाज अउ अर्थ समाय हे। बेद चार बताथें _ऋग्बेद, यजुर्बेद, सामबेद, अथर्वबेद। घटना ला पहिली ले नइ लिखे जा सके।
(2) बेदांग _ सिक्छा, कलपना, बियाकरन, ज्योतिस अउ छंद।(3) पुरान (पुरातन) _ जुन्ना इतिहास, कहनी -कंथली, धारमिक सिक्छा।
(4) नियाव _तरक सास्तर अउ नियाव सास्तर। (5) मीमांसा (परछाई) _बैदिक अनुस्ठान, कहावत के बखान। (6) धरम सास्तर _धारमिक अउ सामाजिक बुता करे के गियान। (7) आयुर्बेद _ असली ईलाज, जड़ी - बूटी। (8) धनुर्बेद _लड़े के बिदिया। (9) गन्धर्वबेद _संगीत, नाचे गाए के गियान। (10) अरथ सास्तर _राजनीति अउ रुपिया पईसा।(11) कामसास्तर _परेम अउ यौन संबंध के गियान।(12) वास्तुकला _घर दुवार बनाए के बिसय। (13) सिलपसास्तर _कारीगरी, हाथ के कला। (14) ज्योतिस _खगोल बिग्यान, भविस्य बताना। 
    64"कलाएं
( 1) गान बिद्या (2) वादन _किसम -किसम के बजाना।(3) नृत्य (4) नाटक (5) बेल बूटे (कढ़ाई) (6) चाउँर अउ फूल ले पूजा सजाना। (7) चित्रकारी (8) फूल के जठना बनना (9) दांत, कपड़ा, अंग रंगना (10) मनी के फर्स बनाना (11) बिसतर सजाना। (12) जल ला बाँधना (13) बिचित्र सबूत देखाना। (14) हार माला बनाना (15) कान अउ बेनी के गहना बनाना (16) कपड़ा अउ गहना बनाना (17) फूल के जेवर संवारना। (18) कान के पत्ता बनाना (19) सुगन्ध वाले तेल बनाना (20) इंद्रजाल, झाड़ फूँक।(21) हाथ के फूली के काम (22) मनचाहा भेस धरना ( 23) रंग- रंग के खाय के चीज बनाना (24) आनीबानी पीए के बनाना।(25) सूजी के काम ( 26) खिलउँना बनाना। (27) पहेली उलझाना। (28) मुरती बनाना (29) कूटनीति कला (30) गरंथ, लिखा,पढ़े के चलाकी (31) नाटक बनाना (32) समस्या पूरा करना (33) पट्टी, बेंट, बाण बनाना। (34) दरी, गलीचा बनाना।(35) बढ़ई के कारीगरी।(36) घर बनाए के कारीगरी (37) सोन चाँदी, हीरा ल परखना।(38) सोना चाँदी बनाना।(39) मनी के रंग ल पहिचानना। (40) खाय के ला पहिचानना।(41) पेड़ के ईलाज। (42) भेड़ा, कुकरा, बटेर लड़ाए के रीति।(43) चिरई -चिरगुन के बोली भाखा (44) भटकाय के बिधि। (45) चुंदी सफई के कला (46) मूठा के चीज या मनके बात बताना।(47) घटिया तरक, सुझाव (48) देस - बिदेस के भासा गियान। (49) सकुन,अपसकुन जानना, सवाल के जवाब देना।(50) नाना किसम के मातरा यंत्र बनाना।(51) रतन ल नाना परकार ले कांटना (52) संकेत भासा बनाना (53) मन मा कटक रचना करना (54) नवा- नवा बात निकालना (55) छल ले काम निकालना (56) सब कोस के गियान (57) सबो छंद के गियान (58) कपड़ा लुकाय, बदले के गियान (59) जुआ के खेल (60) दुरिहा के मनखे या चीज ला खींचना।(61) लईका मनके खेल  (62) मंतर के गियान (63) जिताए के गियान (64) बेताल ला बस म करे के गियान।
         एमा आजकल के बदलत जमाना के मुताबिक अउ कुछु (उपखंड)जोरे जा सकत हे। तेकरे सेती केहेे जाथे ओहो..किसम- किसम के कला हे गा।
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            ढारा, डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़।।

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