टिकेश्वर ध्रुव
अब तो थिराले ग बरसा अउ कतेक बरसाबे
नदियां, नरवा घलो थकगे तैं कब सिराबे।
नदियां, नरवा घलो थकगे तैं कब सिराबे।
रही-रही के चिखला होथे, सबो के जी कऊहागे
घर म पानी, बाहिर पानी, छत म सिहर आगे।
घर म पानी, बाहिर पानी, छत म सिहर आगे।
तोर मारे कुछु काम नई होवै, मन म कोढ़ीयई हमागे
जाये के रहिस एति-वोती, फेर बइठ के दिन पहागे।
जाये के रहिस एति-वोती, फेर बइठ के दिन पहागे।
खेत-खार म टनटन ले पानी, मेड़ पार ह बोहागे
दीदी ह फँसगे तीजा म आजे, याहा दे पूरा आगे।
दीदी ह फँसगे तीजा म आजे, याहा दे पूरा आगे।
अतेक पानी म कोंन बाँचे, तरिया-नदियाँ सरबटागे
मछरी काहत हे कती तऊँरों, लागथे रस्ता भुलागे।
मछरी काहत हे कती तऊँरों, लागथे रस्ता भुलागे।
दिन निकलगे, रात पहागे, तीसर बिहनियाँ आगे
पानीच-पानीच चारो मुड़ा, लागथे बादर बइहागे।
पानीच-पानीच चारो मुड़ा, लागथे बादर बइहागे।
छानी-परवा ह चूहे ल धरलिस, पानी घर म हमागे
घर ल छोड़ के कहॉं जावन, गुन के उदासी छागे।
घर ल छोड़ के कहॉं जावन, गुन के उदासी छागे।
लईका काहत हे पढ़ेल नई जांव, पानी म वहु छनागे
देख के बरसा के रुप ल आजे, मन म डर समागे।
देख के बरसा के रुप ल आजे, मन म डर समागे।
अब तो थिराले ग बरसा अउ कतेक बरसाबे
नदियां, नरवा घलो थकगे, फेर तैं कब सिराबे।
नदियां, नरवा घलो थकगे, फेर तैं कब सिराबे।
अमलीभांठा, हसदा न.1
मगरलोड, धमतरी (छ.ग)
मगरलोड, धमतरी (छ.ग)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें