अरे मनखे जनम धरे हस ता दुनियाँ मा
सोच समझ के कहना ला कखरो मान
जानवर ले बदतर घूट_ घूट जियत हस
फोकट मा जावत हे संगवारी तोर जान
अरे गाय _बछरू, छेरी _पठरू जइसन
दिन _रात मुँहू मा तैं पगुरावत रहिथस
कोनो तोर भलाई बर समझाही तोला
ता येला तंय हा अमरित हरे कहिथस
तुंहर खाए बर सौंफ,लौंग,इलायची हे
रंग_ रंग गुटखा,तम्बाकू ला खावत हो
पिए बर शुद्ध निर्मल गंगा मा पानी हे,
बीड़ी,सिगरेट,दारू ला मुंहू लगावत हो
आज हम धरे हन काली दुसर मन धरही
आज हम मरत हन कल दुसर मन मरही
समय रहते जागव जी ये नशा ला छोड़व
फेर देबखो बनाइया खुदे भुर्री कस बरही
रूप,रंग,पद,पइसा,कुर्सी के नशा भारी हे
लग गे कोनो ला ताहन ये असाद बीमारी हे
बाहिर ले नइ दिखे भीतर ले घुना कस खाथे
मुख मा राम अउ बगल धर के चले कटारी हे।
तुलेश्वर कुमार सेन
सलोनी राजनांदगांव
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