इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 30 दिसंबर 2024

गाय अब गरू होगे

अमृत दास साहू 
 
 तइहा के बेरा मा पशु धन के बड़ मान सम्मान होवय अउ वइसने इंकर महत्व भी रिहिस भइ ...गाय ला लक्ष्मी के रूप मानंय अउ सब पूजा भी करंय,घरो घर गाय गरू पालय पोंसंय,एकाध घर नइ राहय तहु हा देवारी के दिन पूजा करबो ,कोठा सुन्ना झन परे कहिके... अउ नहिते...नानकुन बछिया ला तहु बिसा के लावय... तहां ले धीरे-धीरे लंजार बाढ़ जाही कहिके...।
अउ कोनो बछवा पिला आ जाय ता बड़े होय तहां ले किसानी बुता जैसे नांगर‌ ,बक्खर ,दंवरी,गाड़ा,खांसर ,बेलन मा ओकर सहयोग लेवंय...उपयोग करयं।
अउ जबले मशीनी जुग के आगमन होहे..तब ले धीरे-धीरे मनखे मन के झुकाव मशीन डहर होय ला धर लिस अउ इही मेर ले पशु धन मन के पुछन्ता लगभग कम होय ला धर लिस।
नइते.. बड़े किसान के परसार/कोठा मा दू चार जोंड़ी बइला बंधायच रहितिस अउ एक जोंड़ी बइला तो गइंज अकन घर रहिबेच करय..।
एक ठन समस्या यहु हे के.. आजकाल सबे घर पढ़े लिखे बहु आवत जात हे..ता वहु मन अब गोबर कचरा करे बर हिचकथें ..अउ यहु पाय के कतकोन मन गाय गरू ला बेंचत अउ बरोवत हें...फेर इही मेर आज घलो कइ झन पढ़े लिखे बेटी बहु मन पशु धन के सेवा जतन भी करत हें भइ...यहु ला माने ला परही।
एक ठन बात यहु के आर्थिक रूप ले कमजोर कइ ठन परिवार पलायन घलो कर जथें...वहु मन काकर भरोसा मा इनला छोंड़बो कहिके पालत पोंसत नइ हावयं।
...एक अउ बात.... आजकाल गोबरहिन घलो नइ मिलय...यहु एक ठन समस्या हे....।
.....
अब तो अइसे होगे हे के....पशु धन ला मनखे मन गरू घलो समझे ला धर लेहें लगथे तभे तो पाले पोंसे के बजाय धीरे-धीरे बरोय ला धर लेहें अउ इही कारण हे के आज के स्थिति मा पशु धन के बहुत दुर्गति होवत हे अउ इंकर स्थिति धीरे-धीरे बड़ चिंताजनक होवत जावत हे... जेती जाबे तेती गाय गरू मन लवारिस असन सड़क तीर ता अउ आने जघा मा खड़े अउ बइठे दिखिच जथे।
आजकाल...इही चक्कर मा कइ ठन दुर्घटना घलो घट जावत हें..।
पशु धन मन उप्पर सबले बड़का खतरा एक ठन अउ मंडरावत हे...वो हरय....इंकर तस्करी ,हां आजकाल इंकर तस्करी घलो शुरू हो गे हावय भइ... तभे तो आए दिन समाचार पत्र मा पढ़े ला मिलथे कि अमुक गांव या शहर म गाय गरू ले भरे वाहन पकड़ाइस......आने...आने...।।
पहिली के मनखे मन पशु धन के सहयोग ऊंकर बुढ़ात ले लेवयं अउ काम बुता के लइक नइ रहय तभो नइ बेंचय भल्कुन ओकर जियत ले सेवा जतन करंय ।
जइसने गाय गरू पालय वइसने ओ जमाना मा......दूध,दही,मही अउ घींव घलो गहगट होवय भइ... ओ समे के मनखे मन के एक खासियत अउ राहय कतको दूध दही होतिस आस पड़ोस मा मिल बांट के खावय...फेर बेंचय कभू नहीं..!
अब तो भले पाकिट वाला दुध ले लिही... नहिते चंडी बंधा लिहीं फेर गाय गरू नइ पालय पोंसय ...उपराहा मा भले कुकुर पोंस लिहीं, फेर गाय गरू नइ पोसंय ...पहिली अंगना- दुवारी,कोठार-बियारा ला गोबर ले लिपंय अब तो भइगे वहु मन सीमेंटेड हो गे हावय...कुछु नेंग जोग बर गोबर के जरूरत रही ता मांगे जोगे ला पर जथे...अइसन हाल तो हो गे हाबे।
बीच मा गाय गरू मन ला सुरक्षा परदान करे खातिर शासन हा कुछ दिन एक ठन योजना घलो चलाय रिहिस जेकर अंतर्गत गोसंइया के आधार नम्बर ला सिदहा पशु के आई डी ले जोंड़ दे रिहिस अउ बिल्ला बनाके उंकर कान मा पहिरा दे रिहिस,जेकर माध्यम ले लवारिस घुमत हे,ते काकर गाय गरू हरे पता चल जावय अउ इही माध्यम ले लापरवाह गोसइयां मन उपर कार्यवाही घलो हो जात रहिस....अउ इही बहाना गोसंइया मन सावचेत घलो रहयं,...।फेर यहु नियम कानून चरदिनिया अउ फिसड्डी साबित होगे...।
पहिली के गोसंइया मन तो बरदी आय के बेरा गाय गरू ओइलाए ला लगही कहिके...कहुंचो गांव गंवतरी जाय रहितिस ता.....गाय गरू ओइलाना हे कहिके..एक झन सदस्य जरूर गोधुलि बेला मा वापिस घर आ जावय अउ गाय गरू मन ओइले हे ते नहीं देखय अउ नइ ओइले राहय ता पहटिया ल पुछ परख करयं के बरदी ला कते खार मा चराय बर लेगे रेहेस अउ कोई जघा गिर, हपट या बइठ तो नइ गे रिहिस ना? कहिके खोज खभर लेवयं अउ आज तो भइगे...।, ... आजकाल तो कइ झन गोसंइया मन, उंकर गाय गरू ला कोनो कांदीभूंस मा ओइला दे रहि ते ओला छोंड़ाय तक ला नइ जावय..।
पहिली गोसंइया मन गाय गरू ला घर ले गौठान छोंड़े बर जावय ता गाय गरू के नरी मा बंधाय घंटी,घुंघरू अउ खड़पड़ी के आवाज हा पुरा गांव भर गुंज जावय अउ इही घंटी अउ घुंघरू मन के आवाज सुन के बरदी ओइले के बेरा के आभास घलो गोसंइया मन ला हो जावय
.....गांव गांव मा अभी एक ठन समस्या घलो चलत हे...तेकर सेती घलो कतकोन गोसंइया मन अपन गाय गरू ला बेंचत अउ बरोवत हें.....
वो समस्या हरय... कतकोन गांव मा अब इंकर चरइया चरवहा घलो नइ मिलत हे...?काबर ए ते कोनजनी? हो सकत हे गोसंइया मन जेन जेवर देथें तेमा उंकर परिवार के भरन पोसन नइ हो पावत होही या उंकर गांव मा इनला चराय बर चरी नइ होही अउ कुछु आने कारन भी हो सकत हे..?
अब तो....कतकोन गांव मा गांव भर के गाय गरू के गोंसंइया मन के आरी पारी चराय वाले सिस्टम घलो चलत हे।
इंकर विषय मा एक ठन चिंतनीय अउ विडम्बना के विषय यहु घलो हे के एक छोर ले हमन सरकार ले गाय ला राष्ट्रीय पशु घोषित करे के मांग करत हन अउ दूसर छोर ले हमन गाय गरू ले दुरिहावत घलो जावत हन......लगथे!
अमृत दास साहू
ग्राम -कलकसा, डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
मो.नं.- 9399725588

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