कहानी लमाके सुना झन हमी ला।
न रोटी न जठना सुता झन हमी ला।
तुहीं ला फुरे तोर दुनिया चकाचक।
झमाझम के सपना दिखा झन हमी ला।
चढ़ाए रथन ते गिराथन घलो हम।
सिहासन के आहब बता झन हमी ला।
कटत हे नरी हर तुँहर संग रहि के।
अपन फायदा बर लुहा झन हमी ला।
न दिल्ली बने हे न रइपुर हमर बर।
रहो तुम नलायक बला झन हमी ला।
खजाना के "रौना" तैं लालच दिखाके।
यहू बेर फुग्गा धरा झन हमी ला।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
न रोटी न जठना सुता झन हमी ला।
तुहीं ला फुरे तोर दुनिया चकाचक।
झमाझम के सपना दिखा झन हमी ला।
चढ़ाए रथन ते गिराथन घलो हम।
सिहासन के आहब बता झन हमी ला।
कटत हे नरी हर तुँहर संग रहि के।
अपन फायदा बर लुहा झन हमी ला।
न दिल्ली बने हे न रइपुर हमर बर।
रहो तुम नलायक बला झन हमी ला।
खजाना के "रौना" तैं लालच दिखाके।
यहू बेर फुग्गा धरा झन हमी ला।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
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