सीमा व्यास
शहर के वयोवृद्ध, प्रतिष्ठित,वरिष्ठ साहित्यकार चिंतातुर से सड़क के एक ओर दिखे तो मैंने गाड़ी रोकी। उनके दोनों हाथों में हार,बुके,कुछ पुस्तकें, स्मृति चिन्ह आदि संभाले नहीं संभल रहे थे। मैंने सहारा देकर गाड़ी में बिठाया और पूछा - सर,आप यहां कैसे? वह भी इतने सामान के साथ?
वे सामान सीट पर रख गहरी सांस लेते हुए बोले - किसी नवोदित की पुस्तक का विमोचन था। सुबह ही फोन किया कि मुख्य अतिथि किसी कारणवश नहीं आ पा रहे हैं। अब आज के आज, आपसे बेहतर अतिथि हमें कौन मिलेगा ? मैंने तबियत का हवाला देकर मना कर दिया। पर वे बार - बार फोन करके मान . मनौअल करते रहे और गाड़ी लेकर सीधे घर ही आ गए।
- सच है सर, आपकी साहित्य सेवा इस सम्मान की हकदार है।मैंने गाड़ी उनके घर की ओर लेते हुए कहा।
- खाक सम्मान! कब से घर जाने का कह रहा हूं पर कोई सुनता ही नहीं। अब किसी को मुझे छोड़ने की फुरसत नहीं है। लेखक पत्रकारों से घिरा है और आयोजक मेहमानों से। सुबह तो तुलसीदल सा सम्मान दिया। हर कोई अंजुरी में लेकर ग्रहण करने को तत्पर और काम निकलते ही तेजपान बना दिया। मतलबी कहीं के।
शहर के वयोवृद्ध, प्रतिष्ठित,वरिष्ठ साहित्यकार चिंतातुर से सड़क के एक ओर दिखे तो मैंने गाड़ी रोकी। उनके दोनों हाथों में हार,बुके,कुछ पुस्तकें, स्मृति चिन्ह आदि संभाले नहीं संभल रहे थे। मैंने सहारा देकर गाड़ी में बिठाया और पूछा - सर,आप यहां कैसे? वह भी इतने सामान के साथ?
वे सामान सीट पर रख गहरी सांस लेते हुए बोले - किसी नवोदित की पुस्तक का विमोचन था। सुबह ही फोन किया कि मुख्य अतिथि किसी कारणवश नहीं आ पा रहे हैं। अब आज के आज, आपसे बेहतर अतिथि हमें कौन मिलेगा ? मैंने तबियत का हवाला देकर मना कर दिया। पर वे बार - बार फोन करके मान . मनौअल करते रहे और गाड़ी लेकर सीधे घर ही आ गए।
- सच है सर, आपकी साहित्य सेवा इस सम्मान की हकदार है।मैंने गाड़ी उनके घर की ओर लेते हुए कहा।
- खाक सम्मान! कब से घर जाने का कह रहा हूं पर कोई सुनता ही नहीं। अब किसी को मुझे छोड़ने की फुरसत नहीं है। लेखक पत्रकारों से घिरा है और आयोजक मेहमानों से। सुबह तो तुलसीदल सा सम्मान दिया। हर कोई अंजुरी में लेकर ग्रहण करने को तत्पर और काम निकलते ही तेजपान बना दिया। मतलबी कहीं के।
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