छत्तरपाल साहू
कउनो खरपतवार बना ले
या फेर गर के हार बना ले।
नाता - रिस्ता नाजुक होथे,
जोड़े बर तैं तार बना ले।
मझधार मा कभू झन बूड़े
खेवइया डोंगहार बना ले।
दूइ ठन अभी हाथ हमर हे,
अब तो ओला चार बना ले।
मन के मइल ल सफा करे बर,
मोला तैं उजियार बना ले।
तोर मया मा मातँव मैं हर,
अइसन तैं मतवार बना ले।
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