सरला मेहता
वक्त वक्त की बात है यारों
कभी घी घना तो कभी मुट्ठी भर चना
वक्त से पहले व किस्मत से ज़्यादा
ना किसी को मिला,ना ही मिलेगा।
यह नचाता इंसान को कठपुतली सा
महल के राजा को रंक बना देता
एक रोड़पति, करोड़पति बन जाता।
सीता वनवासी व सुदामा राजा
वक्त को कस कर थामे रहो
रमी के खेल में सही पत्ता चुनते रहो
करने से ही कुछ हांसिल होता है
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
समय मौसम उम्र हिसाब से आते हैं
वक्त का गणितीय सूत्र बड़ा क्लिष्ट है
इसका हल कोई खोज नहीं पाया
वक्त है कम व लम्बी है मंजिल
ए मुसाफ़िर तेज़ कदम चलना होगा
तपस्या के पथ पर, विराम नहीं देना
साथ चलने वालों का साथी बन जाना
इंदौर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें