बलदाऊ राम साहू
रंग - बिरंगे हैं ये छाते
बारिश से वे हमें बचाते।
जब भी हमको धूप सताए
झटपट सिर पर वे तन जाते।
मुनिया ले जाती है शाला
बाबा खेतों में ले जाते।
कोई छोटा कोई बड़ा है
कुछ तो मुट्ठी में आ जाते।
बारिश में जब तन वे जाते
लगते हैं हँसते - मुस्काते।
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