चन्द्रकान्त खुंटे 'क्रांति'
1. कोकिल की अनुराग से,बनते श्यामा रंग।
उमड़ घुमड़ कर बारिशे,गिरते पानी संग।।
2.कोकिल सुंदर राग से,बादल उमड़े आज।
समझे पिया विराग को,काले बाना साज।।
3.कोकिल गाती गीत है,मेघा राग मल्हार।
उमड़े उनके याद में,बनके वर्षा धार।।
4.सुंदर गाती कोकिला,कानन नाँचे मोर।
अद्भुत सुंदर तान है,छम-छम बाजे शोर।।
5.पिया मिलन की आस में, कोकिल रहे उदास।
पाकर मधु संदेश को,मेघा आते पास।।
6.कोकिल होती चंचला,घूमे हर तरु छोर।
मधुरम राग-विराग से,खींचे अपनी ओर।।
7.संगीत मधुर घोलती,धीमे सा पवमान।
सभी हृदय में राजती,मोहक कोकिल तान।।
8.मधुर वचन मन घोलती,सुंदर-सुंदर ताल।
कूँ-कूँ नित ही बोलती,मोहक अनुप कमाल।।
लोहर्सी,जांजगीर-चाम्पा(छ.ग.)
मो.नम्बर-7771871576
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