बोधन राम निषाद’ राज’
करमा नाचे ल चले आबे ओ,
ए डोंगरी के तिरे तीर बांस भीरा।
करमा नाचे ल चले आहुं गा,
ए डोंगरी के तिरे तीर बांस भीरा।
लागे न तो भूख - पियास,
रहिथे गोई मन उदास,
लगे हे मिले के आस,बांस भीरा।
करमा नाचे ल चले आबे ओ,
ए डोंगरी के ....
सुरता हा लगे रहिथे,
जोड़ीदार चलना कहिथे,
पागा कलगी सोहे रहिथे,बांस भीरा।
करमा नाचे ल चले आहुं गा,
ए डोंगरी के...
मांदर के बने ताल देहुँ,
घुंघरू के सुरताल देहुँ,
तोला चुक ले संवार देहुँ, बांस भीरा।
करमा नाचे ल चले आबे ओ,
ए डोंगरी के ...
सोला रे सिंगार करके,
आनी - बानी हार धरके,
चुक - चुक ले मांग भरके,बांस भीरा।
करमा नाचे ल चले आहुं गा,
ए डोंगरी के ...
स.लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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