जसिंता केरकेट्टा
ऑक्सीजन की कमी से
बहुत सी नदियां मर गई
पर किसी ने ध्यान नहीं दिया
कि उनकी लाशें तैर रहीं हैं
मरे हुए पानी में अब भी
नदी की लाश के ऊपर
आदमी की लाश डाल देने से
किसी के अपराध पानी में घुल नहीं जाते
वे सब पानी में तैरते रहते हैं
जैसे नदी के साथ
आदमी की लाशें तैर रहीं हैं
मरे हुए पानी में अब भी
एक दिन जब सारी नदियां
मर जाएंगी ऑक्सिजन की कमी से
तब मरी हुई नदियों में तैरती मिलेंगी
सभ्यताओं की लाशें भी
नदियां ही जानती है
उनके मरने के बाद
सभ्यताओं के मरने की बारी।।
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