रागिनी स्वर्णकार शर्मा
हम समन्दर के किनारे गीत गाते रह गये।
सीपियों की खोज में लहरें हटाते रह गये।
ले गए थे कैमरा हम खींचने फोटो मगर,
उसने पर्दा कर लिया हम दिल जलाते रह गये।
बीच गोवा के लगे बेहद सुहाने,पुर - कशिश
नाम तेरा रेत पर लिखते लिखाते रह गये।
इस कदर थीं तेज़ लहरें के बहाकर ले गयीं
हम समन्दर से उसे बेशक बचाते रह गये।
करके वादा तुम अभी तक लौट कर आये नहीं
हम तुम्हारी याद के दीपक जलाते रह गये।
हमसफर के साथ हमने चूम ली मंज़िल मगर
लोग हम पर उँगलियाँ अपनी उठाते रह गये।
इन्दौर
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