गीत कोई सुरीला सा गा दीजिये
गीत कोई सुरीला सा गा दीजिये।
बेसुरों को जरा सुर सिखा दीजिये।। आप से कर गया बेवफाई कोई आप तो पर सभी को वफ़ा दीजिये। साथ देता सदा जो मुसीबत में हो भूल कर भी न उसको दगा दीजिये। पीर दे क्या रहा आपको यूँ भला दिल में जो बात है वो सुना दीजिये। हो लड़ाई अगर झूठ सच्च की कभी सच्च के हक में ही तब फैसला दीजीये। जो कभी यह लगे हक तो मेरा भी है आप अपना वहां हक जता दीजिये। प्यार के पेड़ को जान से सींच लो नफरतों को सभी अब जला दीजिये। साथ दे न सकें जो मुसीबत में तब कम से कम उस घड़ी हौंसला दीजिये। आप से है दिली यह गुज़ारिश मेरी मुझको बहरों में लिखना सिखा दीजिये। मैं किसी और का हो चूका हूँ सनम नाम दिल से मेरा अब मिटा दीजिये। हरदीप बिरदी 9041600900
deepbirdi@gmail.com
वो ग़ज़लें किसी से लिखाके हैं पढ़ते।
मेरी ही लिखी हैं बताके हैं पढ़ते।कभी भी न अपनी तू नज़रें झुकाना
ये मिसरा वो नज़रें झुकाके हैं पढ़ते।क़यामत से बढ़के हैं करते क़यामत
ज़रा होंठ जब वो दबाके हैं पढ़ते।लगे काली काली घटा हर सू छाई
वो ज़ुल्फों को जब जब उड़ाके हैं पढ़ते।ख़ुशी ज़िन्दगी है रहो ख़ुश सदा ही/पर
दुखी सा वो मुख को बनाके हैं पढ़ते।ये मन शाँत रहना ज़रूरी है यारो
यही बात वो तिलमिलाक़े हैं पढ़ते।वो सन्देश देते सदा सच पढ़ो तुम
मग़र सच से दामन बचाके हैं पढ़ते।मैं दो मिन्ट लूँगा जियादा न कहकर
समय को सदा वो भुलाके हैं पढ़ते।सभी जानते हैं कि क्या सच है इसमें
वो बातों को जब भी घुमाके हैं पढ़ते।यही शायरी है जो मैं कह रहा हूँ
गुमां से वो कह सर उठाके हैं पढ़ते।हरदीप बिरदी
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