मैं कभी नही पूछता
जात,पात और मज़हब,
हाँ जरूर देखता हूँ
चाल,चरित्र और करतब !
हाँ जरूर देखता हूँ
चाल,चरित्र और करतब !
नही देखता दाढ़ी,टोपी
तिलक,चोटी और कपड़े,
ज्ञान की बातें सुनता हूँ
नही पड़ता स्वाँग के लफड़े !
इनकी सूरत पे न जाइए
सीरत को भला आजमाइए ,
भाषण,प्रवचन दिखावे की
जनमानस को ये समझाइए !
देखो बड़े बन आते हैं
धर्म पर बड़ी बड़ी बातें करने,
विलासी जीवन बिता रहे
लगे अपनों का तिजोरी भरने !
इन बहुरूपियों को समझो
अपनी ज्ञान की ज्योति जलाओ,
विज्ञानी,ज्ञानवादी बनो तुम
अपना जीवन सफल बनाओ !
धर्मपूर्वक,नैतिक जीवन जियो
बाह्य....आडंबर से दूरी बनाकर ,
मानव सेवा ही धर्म हमारा
बस यही असली पूजा अपनाकर !
आज,अब भी है महात्मा
जो जताते नही,बताते नही ,
कर्म ही पूजा है मान कर
किसी को बहलाते,बनाते नही
--- राजकुमार मसखरे
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