इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

रविवार, 21 फ़रवरी 2021

झबलू द जर्मन शेफर्ड डॉग

चन्द्रहास साहू


- चलो! और कितना टाइम लगेगा? कब से भौक रही हूँ लेकिन तुम्हारे कान में जूँ तक नही रेंगता।
- हाव बस निकलत हावव।
          मिसेज गुप्ता के गोठ ला सुनके किहिस डॉ गुप्ता हा फोन ला पटकत ।
- अब्बड़ मुड़ पिरवा होथे यार ये माईलोगिन मन। हलाकान कर डारथे ...।
          शहर के नामी डॉ गुप्ता किहिस सांस छोड़त, अटियावत। आज इतवार आय। सब बन्द रहिथे आज के दिन। ओपीडी बन्द राखे के घला नियम हावय फेर ... डॉ साहब अपन घर मा असकटाथे। अस्पताल अऊ दारू भट्टी के कपाट खुलत देरी लागथे, ग्राहक के का कमी, चार झन पेशेंट ला देखिस उत्ता धुर्रा। अऊ मोबाइल मा फेर गेम खेले लागिस। तीन पेशेंट अभीन आइस हे। डॉ साब मोबाइल मा भले गेम खेल लेवय फेर झटकुन इलाज नइ करे। थोकन बइठ के पीरा मा दंदरही तभे तो जानही डॉ बिजी रहिथे कहिके ...। कम्पोण्डर साहू जानथे तभे बइठार के राखे हावय। सण्डे क्लोज्ड के बोर्ड ल देखिस। सुघ्घर ... अब्बड़ सुघ्घर, केबिन मा नजर मारे लागिस। पीओपी ले बने इंटीरियर डिजाइन बने नीला दुधिया लाइट सुघ्घर कांच हरा परदा दवाई भरे अलमारी बड़का मोट्ठा किताब स्टेथोस्कोप स्केपुला । मुसुर - मुसुर मुचकाये लागिस कोठ मा चिपके लइका महतारी के हाँसत मुचकावत फोटो ला देख के। अब टेबल के नेम प्लेट मा नजर थिरागे डॉ के आर ठाकुर एमबीबीएस डीसीएच। गांव के खेदा राम आज शहर के नामी डॉक्टर हावय। खुलखुल हासे लागिस। अब आँखी ला रमजत आरो करिस।
- पेट अब्बड़ अगियाथे साहब! भूख नइ लागे। अमरचुहकी डकार आथे। अधेरहा बताये लागिस।
- सब बने हो जाही कका!
          डॉक्टर पेट पाट ला टमरत किहिस।
          कम्प्लीट ब्लड टेस्ट एंडोस्कोपी अऊ यूरिक एसिड जांच कराए बर लिखिस।
- बाकी ला जांच के पाछु रिपोर्ट देखाबे तहान बताहू। रतीभर संसो झन कर कका! डॉक्टर के गुरतुर गोठ ले आधा बीमारी ठीक हो जाथे।
- अरे साहू फीस के नियम बता।
- जनरल डे के दो सौ फीस। छुट्टी के दिन तिहार बार इतवार के चार सौ फीस अऊ रात बिकाल के या डॉक्टर साहब घर ले स्पेशल आही तब छे सौ पचास रुपिया लागही।
          मेहा फीस के नियम बताए लागेव। पेशेन्ट थर्रागे।
- मेहा तो चार सौ भर धरे हव बाबू!
- ले बने हे फीस पटादे तहान दवाई गोली ला पाछु बीसा लेबे।
         पूजवन के बोकरा कस उदास होगे बपरा पेशेन्ट हा।
          एक झन मरीज तो फीस के नियम ला सुनके भगा गे। काली आहू ददा रात भर पीरा ला अऊ सही लेथो का होही ...।
          जवनहा ला स्ट्रेचर मा सुताके लानिस। पेट पीरा मा ब्याकुल रिहिस। लाहर - ताहर होगे हाबे। डॉक्टर जाचिस परखिस। पीरा अऊ नींद के सूजी लगाइस।
           भौ ... भौ ...कुकुर भूके के आरो आइस। तीन मंजिला मकान के ऊपर मा डॉक्टर मन रहिथे अऊ खाल्हे के दुनो मंजिल मा नर्सिंग होम हावय तीस बिस्तर के। जम्मो अस्पताल हा झनके लागिस कुकूर भूके के आरो ले। मखमली लुगरा मा लपेटाये पातर कनिहा वाली सुघ्घर बरन अऊ खांध मा झूलत खुल्ला बाल डिजानर पोलखा आधा पीठ उघरा सुघ्घर दिखत हावय। एक हाथ मा मंहगा सोनहा रंग के पर्स अऊ दूसर हाथ मा झबलू के स्टील के चैन ला धरे हाबे। झबलू बड़का बड़का बाल वाला करिया भुरवा छिटही रंग दु तीन फीट के मोठ डांट चालीस पचास किलो के अब्बड़ टन्ननक, अब्बड़ फुर्तीला कुकूर आय। सरलग भूकत हे, सूँघत हे, हफरत हे हइफो -हइफो। आधा जीभ बाहिर कोती निकले जइसे आने कुकुर मन रहिथे। लार टपकात उतरत हावय। मेडम के तन जइसे महंगा परफ्यूम ले ममहावत हावय वइसने कुकूर घला ममहावत हावय सोला सौ वाला बॉडी स्प्रे ले।
- मेरा लल्ला! मेला बाबू ! बेबी, सोना, कहिके दुलार के लगाये रिहिस मिसेस गुप्ता हा। तीन मंजिला सीढ़ी ले उतरके खाल्हे आगे अब।
         छत गिर जाही अइसे झन्नावत रिहिस कुकूर के गुर्राए ले।
- अले ,अले मेला शेर आ गया। मेला बाबू ...।  आ गया ...।
           कुकुर हाव - हाव करत डॉक्टर ऊपर चढ़े परे। आगू के दुनो गोड़ ला उठा के कूदे लागे तब कभू कुई - कुई करत गोड़ हाथ ला चाटे लागे। डॉक्टर दुलारत कुकूर ला पोटार लिस अऊ पीठ मा हाथ फेरे लागिस। पेशेन्ट के परिजन मन मोहाटी ले ठाड़े होके राम भरत मिलाप ला देखे लागिस।अस्पताल परिसर मा जइसे धारा 144 लगगे। जम्मो कोती शांत कलेचुप।
- चलो!
- अरे साहू गाड़ी निकाल।
          मिसेस गुप्ता के गोठ ला सुनके किहिस। मेहा गाड़ी निकालेव । दु झन पेशेन्ट के तुरते शंका समाधान करिस अऊ कतको झन तो चिचियाते रहिगे डॉक्टर साहब ...।
          ओमन चल दिस मार्केट। अब कुकूर के चैन मोर हाथ मा रिहिस। कुकूर घला अब थोकन शांत होइस फेर भूकई अभी सरलग चलते हावय। कुकूर भूकथे तभे ओला कुकुर कहिथन। अऊ मइनखे ... मइनखे घला भूकथे तब गरीब कही देथन। कुकुर के भूके के भाखा ला कुकुर समझ जाथे फेर मइनखे के भूकई ला मइनखे नइ जान सकय। गुनत -  गुनत कुकूर ला उप्पर लेग के छोड़ेव।
- यह बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म हैं। बजट एक हजार करोड़ रुपये। अच्छा हुआ चार दिन पहले बुक करवा ली थी। फर्स्ट डे फर्स्ट शो का मजा ही कुछ और होता है डॉक्टर साहब। बाहुबली से हीरो ऐसा चमका कि सारी दुनिया दीवाने हो गए। क्या बॉडी, क्या लुक, क्या हेयर स्टाइल, क्या हाइट पर्सनैलिटी, क्या सिक्स पैक ... वाव प्रभास आई लव यू सो मच।
          मिसेस गुप्ता के मुहू बाजत रिहिस चपड़ - चपड़ । पतिदेव घला डबकत हावय कभू मोर तारीफ नइ करे कभू आई लव यू नइ कहाय।
- चलो यार स्पीड चलाओ बैलगाड़ी जैसा मत चलाओ।
- अऊ कतका स्पीड चला ओ? चाकर सड़क ला घला बैपारी मन सुल्लु कर डारथे अपन पसरा लगाके। नाम के राजधानी रायपुर फेर सड़क मा गाय बछरू पगुरावत रहिथे। कहाँ ले गाड़ी स्पीड मा चलही? जगा - जगा गड्डा तौन अलग। कतको गड्डा तो कुआं बनगे हावय। नेता अधिकारी बेपारी सब जिम्मेदारी ले भागने वाला हे इहाँ। सब बेईमान हावय।
- अपना काम बनता झख मराये जनता ऐसी सोच रखते है। मिसेस गुप्ता घला पंदोली दिस। मिसेस गुप्ता के भाषण उरके नइ रिहिस अऊ ये दे ये साले कुकुर झपाये परत हावय।
- ये दाई । चीख निकलगे।
          कुकुर ला बचाये के चक्कर मा तीन झन नोनी मन ला ठोक दिस। मइलाहा कपड़ा पहिरे पीठ मा प्लास्टिक बोरी बोहे अपन साइड मा रेंगत रिहिस।
- छोटे कुत्ते को बचाने के चक्कर में पूरा कुत्ते की फैमिली चपेट में आ गयी। क्या करे ? मिसेस गुप्ता बड़बड़ाये लागिस ताना मारिस।
          बड़का नोनी मुड़ भसरा गिरीस माथ फुटगे। लहू के धार फुटगे। दुसरइया एकंगी गिरीस कोहनी छोलागे। तिसरइया ,गिरीस फेर कमती लागिस। दस बारा अऊ पन्दरा बच्छर के तारा सिरा लइका जम्मो लाहर ताहर होगे।
- गाड़ी ला तो कुछु नइ होइस न। गाड़ी ला धीरे करत गाड़ी ला ठाड़े करे लागिस।
- लाखो की महंगी गाड़ी को तुड़वाना - फोड़वाना है क्या?  गाड़ी तो छोड़ ... हम लोगो को भी नही छोड़ेंगे। मार डालेंगे काट डालेंगे भीड़ की कोई जाति धर्म नही होती। 
          आजु बाजू के दुकान वाला मन सकेलाये लागिस।
- चलो अभी रोड भी क्लीयर है।
- फेर लइका मन ल ...।
- अरे पॉलिथीन बीनने वाले तो है, कोई कलेक्टर के बच्चे थोड़ी ना है कुछ नहीं होगा। इन लोगो को खुद को पता नहीं कौन किसके बच्चे है, और कौन किसके पेरेंट्स। धरती के बोझ साले। चल खिसक ले रोज की घटना है। मिसेस गुप्ता जुड़ सास लेवत किहिस।
- लेकिन ... मैं डॉक्टर हूं। देख लेथो कतका लागे हावय तेला ।
- ये भीड़ और कोर्ट कचहरी डॉक्टर का तेल निकाल देंगे। याद रख।
मिसेस गुप्ता अब गुर्राइस।
           गाड़ी फेर दउड़े लागिस। दुकान वाला मन लइका मन ला पानी पियावत रिहिस। कतको झन मन ऑरो करिस, गाड़ी वाला ला पकड़ो अइसे फेर गाड़ी वाला मन तो छू लम्बा होगे। सिटी माल मा थिराइस गाड़ी हा।
- ते बने केहेस जतका जादा बिलम ततका फसना होतिस। ओ कोती सीसीटीवी कैमरा घला नइ लगे हावय। नइ जान सके।
          मल्टीप्लेक्स टाकीज मा जुड़ सास लेवत किहिस डॉ गुप्ता हा।
- वाह क्या सीन है दुबई ऑस्ट्रेलिया सिंगापुर सब फॉरेन लोकेशन का शूटिंग। यू ट्यूब में साढ़े तीन लाख मिलियन फॉलोअर्स है। प्रभास यु आर हेंडसम ... अट्रैक्टिव ... फायर ... किलर लुक...। लव यू ... लव यू ... सो मच। अब मिसेस गुप्ता पूरा पिच्चर मा बुड़गे रिहिस।
अभी तो इंटरवल भी नहीं हुआ और पैसा छूटा गया।
?- ओ एक्सीडेंट वाली टुरी मन के का होइस संसो होवत हावय ओ।
- छोड़ ... ओ सब। लेट्स एन्जॉय मूवी। मिसेस गुप्ता हा डॉ गुप्ता के मुहू मा समोसा ठुसट किहिस। डॉ गुप्ता घला पिच्चर मा अब रमगे।
          नर्सिंग होम मा सबले सीनियर आवव। अट्ठारा बच्छर चार डॉक्टर करा बुता करे के अनुभव हावय। फेर आज मोर सूजी दवाई बुता नइ करत हावय। जवनहा के पेट पीरा फेर बाढ़गे। लाहर ताहर होगे। अगिया बेताल होगे जवनहा हा। पेट पीरा के दवाई देयेव सब अबिरथा होगे। नींद के दवाई देयेव तभो ले... छटपटावत रिहिस। बचा ले भगवान ये जवनहा ला गांव के लीम तरी के हनुमान जी ला सुमर डारेव। डॉक्टर साहब तो भइगे। फोन नइ उठावत हे। दस बारा बेरा होंगे न फोन उठाये न कोनो जवाब मिले। जवनहा अब लाहर ताहर होगे। गोसाइन घला खिसियाये लागिस कभू हाथ जोर के बिनती घला करिस।
- मोर गोसाइया ला बचा ले कम्पोण्डर बाबू ! डॉक्टर करा फोन मार जल्दी बला। जवनहा के गोसाइन अब रोये लागिस।
           फोन लगाए के उदीम करेव। अब्बड़ बेरा मा लगिस। सब ला बताएव चेताएव डॉक्टर साहब ला। ले आवत हव किहिस अऊ टू टू...फोन कटगे।
          कचाकच भीड़ ले भरे हाल मा सीटी अऊ हूटिंग चलत हावय। परदा में घटत घटना ले लोगन मन के मनोभाव बदलत हावय दुख क्रोध आक्रोश हँसी ठिठोली सब।
- मेहा जावत हावव पेशेंट सीरियस होगे हे, देखना जरूरी हावय।
डॉक्टर साहब अपन कुर्सी ले ठाड़े होगे।
- अभी तो क्लाइमेक्स बाकी है। बस पंद्रह मिनट की बात है। हीरो अपना प्रभास अभी मूर्छित है। मरेगा कि बचेगा ... हीरोइन हीरो का प्यार ठुकरायेगी कि असेप्ट करेगी... बस पन्द्रह मिनट ...! अपना साहू कम्पोण्डर सम्भाल लेगा। मिसेस गुप्ता कहे लागिस।
- तेहा ऑटो ले आ जाबे मेहा जावत हावव।
- नहीं .... बैठ चुपचाप। तुमको शर्म नहीं आता। इतने बड़े डॉक्टर की बीबी और ऑटो में ... लोग क्या कहेंगे?
          डॉ गुप्ता फेर बइठगे। पिच्चर मा हीरो घला अब जागगे रिहिस अऊ हीरोइन घला हीरो के प्यार ला असेप्ट कर लिस। सीटी चिल्लाई ताली अऊ हूटिंग के आरो आये लागिस। डॉक्टर साहब के फोन कतको बेरा घरघराइस फेर गोठ बात नइ होइस।
- भैया ! डॉक्टर साहब नइ आवय ते हमन ला आने अस्पताल जाये बर छुट्टी दे दे।
मरीज के गोसाइन किहिस मोला।
- डॉक्टर साहब आतेच हावय ... । वो हा निकलगे हावय ... । आधा पौन घंटा ले अइसने काहत हावव मेहा।
फेर फोन करेव।
- आ जाओ साहब, मरीज के हालत नाजुक होवत हावय। अब अटियावत कराहत घला नइ हावय। भलुक मूर्छित होवत हे । ओखर गोसाइन हा आने अस्पताल लेगे के बात कहत हे...।
- नहीं बिलकुल भी नहीं, पेशेन्ट ला जाये ला झन देबे अऊ फीस मन ला जमा करवा के राख ले रहा। डाक्टरी फील्ड में जादा भावुक होये ले नइ बने। बिलमा के राख। फूलदान अऊ भगवान के नानकुन मूर्ति बिसाहू अऊ डाक्टरीन गुपचुप खाही अतकी बुता हावय। बस आतेच हावव ...। डॉक्टर के फोन कटगे।
सिरतोन बिलमा डारेव मरीज ला। अब अऊ कतका बिलमावव ... अब शांत होगे। निच्चट शांत। चालीस बियालिस बच्छर के जवनहा के लाश परे रिहिस। संगमरमर लगे चमचमाती बिल्डिंग सुसकत हावय। करेजा फाटगे गोसाइन बेटी - बेटा अऊ सियान दाई ददा के रोये ले।
झबलू
द जर्मन शेर्फ्ड डॉग
          सेवा सदन नर्सिंग होम के बोर्ड ले घिनौना लागे लागिस आज महु ला।
        अब भीड़ दिखत हावव जम्मो कोती उग्र भीड़। अइसे भीड़ जेखर न कोनो जाति धरम हावय न कोनो बरन हावय। नर्सिंग होम मा खुसरे के उदीम करिस फेर भौ - भौ झबलू कुकूर अइसे डटे हावय जइसे बी एस एफ  वाला जवनहा सीमा मा डटे रहिथे। सौ डेढ़ सौ के भीड़ ला अपन फुर्ती खुंखार पन अऊ भूकई ले थाम डारिस झबलू हा। सब मरीज मन अपन कुरिया मा खुसर गे। भीड़ नइ खुसर सकिस ते का होइस लाठी बेड़गा ईटा कोहरा चले लागिस। लट्टू झूमर सब टुटगे। कब तक ले सम्हालही झबलू हा ...। एक ठन बड़का पथरा मुड़ी मा परिस अऊ लहू के धार फुटगे। कुई -  कुई करत गिरीस ते उठबे नइ करिस। अब तो पुलिस बल घला आगे कण्ट्रोल करे बर।
डॉक्टर गुप्ता देखिस सब टूट फुटगे। एक एक जिनिस के आकलन करे लागिस ।
- सब ला मेडिकल बिल मा जोड़बे तभे लाश ला देबे। भलुक बढ़ा - चढ़ा के बिल बनाबे। एस पी ले बात होगे हे। काखरो दादा गिरी नइ चले इहाँ।
डॉक्टर छाती फूलोवत किहिस।
फेर ... अब तो जइसे छाती फाटगे जब झबलू ला देखिस दहाड़ मारके रोए लागिस।
- मोर बाबू ...! मोर बेटा ...! मोर शेर ...! मोर झबलू। डाक्टरीन घला अधमरहिंन होगे रिहिस झबलू के वियोग मा।
- मेरा झबलू ...! मेरा जर्मन शेफर्ड डॉग ...।
          इंसान बर कोनो संवेदना नहीं अऊ कुकूर बर अतका मया, अतका रोना गाना। आज सेवा सदन नर्सिंग होम ले घिन घिनासी लागिस।
          अब कोनो आने नर्सिंग होम मा जाके अपन कागज पाती सर्टिफिकेट संग अनुभव ला बताए लागेव मेहा।
चन्द्रहास साहू
धमतरी
मो 8120578897

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