सुमन जैन ’ सत्यगीत’
तेरे बगैर तो मेरी दुनिया उदास है।
मंजिल उदास है मेरी रस्ता उदास है।।
गमगीन किस कदर सभी हमसे न पूछिये,
तन्हा सी जिंदगी में हर साया उदास है।
जिसमें संवरते रोज ही इतरा के देखते,
साजन बिना वो आजकल शीशा उदास है।
रहते उदास बिन तेरे यूँ जिंदगी मेरी,
सागर बिना कि ज्यूँ रहे दरिया उदास है।
रो रो तुम्हारी याद में सावन बहा दिया,
देखा तुम्हारे साथ जो सपना उदास है।
पूछा ’ सुमन’ जो प्यार से हमने भी कह दिया,
साजन बिना खुदा का हर सजदा उदास है।।
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