इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

ये नेता भगवान है आज के

          वीरेन्‍द्र खरे 'अकेला '


भले  चौके  न हों,  दो एक रन  तो  आएँ  बल्ले से।
कई  ओवर  गंवा कर भी  खड़े हो तुम  निठल्ले से।
          वो मरियल चोर आख़िर माल लेकर  हो गया चंपत,
          न  काबू  पा सके  उस पर  सिपाही दस मुटल्ले से।
जो कानूनन सही हैं उनको करवाना बड़ा मुश्किल,
कि  जिन  पर  रोक है वो काम होते हैं धड़ल्ले से।
          करो  तुम  दुश्मनी  हमसे  मगर  ये भी  समझ लेना,
          तुम्हारे घर का रस्ता है हमारे ही मुहल्ले से।
ज़रा सी उम्र में ढो - ढो के चिंताएँ पहाड़ों सी,
ये लड़के आजकल के हो गए कैसे बुढ़ल्ले से।
          अमीरी की ठसक तू मुझको दिखलाया न कर नादाँ,
          मैं सच बोलूँ तेरी दौलत मेरे जूते के तल्ले से।
ये नेता आज के भगवान हैं समझे ’ अकेला’ जी,
मज़े में हैं वही जो इनके पीछे  हैं पुछल्ले से।

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