इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

रचना निर्मल की रचनाएं

गज़ल
बीते फ़रेब में दिन और रात मयकशी में
ऐसे ही ज़िन्दगी क्या बीतेगी काफ़िरी में

ख़ुशियों का क्या कहें हम कुछ कम नहीं हैं ग़म भी
करते हैं तंग दोनों अपनी कहा सुनी में

आईं कभी न ख़ुशियाँ दिल में बहार बनकर
अब इंतिज़ार कितना बाक़ी है ज़िन्दगी में

रिश्ता निभा रहा है माँ बाप बाँट कर वो
इंसानियत को मरते देखा है आदमी में

दुश्वारियों में पाया अपनों को भी पराया
है साथ कौन आख़िर गहराती तीरगी में

कुछ फ़ासले भी हैं और कुछ ख़्वाहिशें हैं बाक़ी
जारी हैं कोशिशें भी इस दौर-ए-गुमरही में

कर्मों की डायरी में लिख ले हिसाब 'निर्मल'
क्या कुछ गँवा चुकी है तू अपनी ज़िन्दगी में



कविता

तनाव



क्या है
तनाव... टेंशन
मैं और पर का संबंध
एक डर, एक खतरा
अहम् का आत्म समर्पण
विशिष्टता के साथ
बस.. यहीं से होता है शुरु
तनाव जो डालता है जाल
बच्चों से बड़ों पर
अमीरों से गरीबों पर
मन से शरीर पर
छीन लेता है सांसों की पैंशन
जो नहीं देख पाता घटनाओं का चित्रहार 
करने लगता है प्रतिक्रियाओं से है प्यार
होती है उसे टैंशन दूर करने की भी टैंशन
बस..चल पड़ता है वैचारिक यात्रा पर
सृजनशीलता की ओर 
उद्देश्य पूर्ति के लिए
पीने लगता है टाॅनिक
जोखिम का
गुणवत्ता बढ़ाने के लिए
इसी तनाव से लेता है प्रेरणा.. 
खाने में नमक की तरह
सच…
एक पक्षी ही तो है तनाव
आता है विचारों की खिड़की से
मेहमान बनकर
तो बस... कीजिए स्वागत
नाच कर,गाकर, कसरत कर
जगाइए सुप्त शक्तियां
दूर कीजिए भावों की घुटन
हाँ.. अगर हो जाए वह नकरात्मक
तो..बाहर कर दीजिए उसे
मन की खिड़की से

संक्षिप्त परिचय


नाम : रचना निर्मल
जन्म: 5 अगस्त 1969, पंजाब
शिक्षा: ( राजनीति विज्ञान ) स्नाकोत्तर
रुचि : पठन , पाठन,समाज सेवा
कर्म क्रिया:  अध्यापिका , गृहणी, समाजसेवी
प्रेम : सच्चाई देश और प्रकृति से..
प्रिय लेखक : महादेवी वर्मा,सुभद्रा कुमारी चौहान,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, प्रेमचंद,मीर,राहत इंदौरी साहित्यिक क्षेत्र: गीत,ग़ज़ल,कविता,छन्द,कहानी लघुकथा इत्यादि
साहित्यिक यात्रा : दो वर्ष
प्रकाशन: विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, विभिन्न विधाओं के साझा संकलनों में रचनाएँ सम्मिलित
उपलब्धियाँ: विभिन्न मंचों द्वारा रचनाओं हेतु समय समय पर पुरस्कृत एवं सम्मानित
गोल्डन बुक्स आफ रिकार्ड में प्रकाशित पुस्तक" हे पवन " में कविता- स्त्री और हवा, लघुकथा -कसूर किसका
,सचिव (महिला काव्य मंच (रजि०) , साहित्य शिखर की राष्ट्रीय सचिव, सोपान साहित्यिक संस्था की कार्यकारिणी सदस्या,आगमन की आजीवन सदस्यता
सम्पर्क: फोन: 9971731824 , 7011594469
दिल्ली

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