रचना निर्मल
उम्मीद अपने क्रिएटिव क्राफ्ट होमवर्क के लिए पुराने अखबारों से पता नहीं क्या ढूंढ रही थी। तभी चिल्लाई ,
"माँ माँ, देखो,इस लड़के ने पानी की ख़ाली बोतलों की चप्पल बना कर पहनी है। क्या क्रिएटिविटी है। "
"माँ,इसे ही फर्सट प्राइज़ मिला होगा,तभी अखबार में भी फोटो छपी है। माँ इसे पहन कर भी चलना मुश्किल ही होगा न।
और भी न जाने उम्मीद क्या क्या बोले जा रही थी,पर संवेदना को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। वो तो इस उधेड़-बुन में थी कि फोटो की सच्चाई पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाली उम्मीद को बताए या नहीं ।
अचानक उसके कानों में आवाज़ आई, " माँ, काश!मैं भी इसके जैसी बन जाऊँ ।"
सुनते ही संवेदना,होश में आ गई। झटके से उसने अपना मुबाईल उठाया और पति को लगा दिया।
" सुनिए , आप आर डब्लू ए के सेक्रेटरी वर्मा जी , से सभी जरूरतमंदों की लिस्ट बनवाइए। और मैं अपनी किट्टी की सहेलियों को फोन लगा कर डोनेशन क्लब बनाने के लिए कहती हूँ जिसका उद्देश्य इकट्ठा किए पैसों से आसपास के सभी जरूरतमंदों की मदद करना होगा ।आखिर हम सबका भी कुछ फर्ज बनता है।अब खाली सहानुभूति से काम न चलेगा।
सम्पर्क: फोन: 9971731824 , 7011594469
दिल्ली
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