जावेद आलम खान
(1)
अभी गंगा की लहरों में वज़ू की आरज़ू बाकी
शिवालों मस्जिदों में प्यार की है गुफ्तगू बाकी
रगों में दौड़ती मिटटी वतन की है लहू बनकर
इसी मिटटी में मिल जाने की अब है जुस्तजू बाकी
अभी गंगा की लहरों में वज़ू की आरज़ू बाकी
शिवालों मस्जिदों में प्यार की है गुफ्तगू बाकी
रगों में दौड़ती मिटटी वतन की है लहू बनकर
इसी मिटटी में मिल जाने की अब है जुस्तजू बाकी
(2)
भोर की आरती का वो सुरीला साज़ ज़िंदा है
मुसलसल नारा ए तकबीर की आवाज़ ज़िंदा है
यक़ीं है मुंह की खाएंगे वतन को तोड़ने वाले
असम की आँख में अब भी वतन की लाज ज़िंदा है
भोर की आरती का वो सुरीला साज़ ज़िंदा है
मुसलसल नारा ए तकबीर की आवाज़ ज़िंदा है
यक़ीं है मुंह की खाएंगे वतन को तोड़ने वाले
असम की आँख में अब भी वतन की लाज ज़िंदा है
(3)
रागे बिस्मिल्ला की बजती हुई शहनाई हो तुम
उमरो खय्याम की गायी हुई रूबाई हो तुम
मन की पुस्तक के सभी पृष्ठों में लिखी तुम हो
दिल की गहराई में उतरी हुई कविताई हो तुम
रागे बिस्मिल्ला की बजती हुई शहनाई हो तुम
उमरो खय्याम की गायी हुई रूबाई हो तुम
मन की पुस्तक के सभी पृष्ठों में लिखी तुम हो
दिल की गहराई में उतरी हुई कविताई हो तुम
(4)
बढ़ गयी बेरोज़गारी द्रौपदी की चीर सी
खेलने की उम्र कुछ कुछ हो गयी गंभीर सी
शौक से मोबाइलों में घुट रहे है नौजवान
माँ की बोली अब उन्हें चुभती नुकीले तीर सी
बढ़ गयी बेरोज़गारी द्रौपदी की चीर सी
खेलने की उम्र कुछ कुछ हो गयी गंभीर सी
शौक से मोबाइलों में घुट रहे है नौजवान
माँ की बोली अब उन्हें चुभती नुकीले तीर सी
(5)
त्याग वेदना समर्पण अजी छोड़िये जनाब
बिकने लगा बाजार में अब प्यार बेहिसाब
इन्सान पर चढ़ा है बनावट का आवरण
चेहरों में बदल जाते हैं मक्कारी के नक़ाब
त्याग वेदना समर्पण अजी छोड़िये जनाब
बिकने लगा बाजार में अब प्यार बेहिसाब
इन्सान पर चढ़ा है बनावट का आवरण
चेहरों में बदल जाते हैं मक्कारी के नक़ाब
(6)
ज़मीं से आसमां तक हर तरफ छाया कुहासा है
दिखाई कुछ नहीं देता उजाला भी ठगा सा है
निरंतर बढ़ता जाता है समंदर की तरफ देखो
किसी की चाह का सूरज न जाने कब से प्यासा है
(7)
बनके आंसू मेरी आँखों से है फरियाद आयी
मुद्दतों बाद मुझे याद तेरी याद आयी
राहे जीवन में यहाँ साथ मेरे चलने को
एक तनहाई भी आई तो वो तनहा आयी
बनके आंसू मेरी आँखों से है फरियाद आयी
मुद्दतों बाद मुझे याद तेरी याद आयी
राहे जीवन में यहाँ साथ मेरे चलने को
एक तनहाई भी आई तो वो तनहा आयी
जावेद आलम खान
पता -ए 2 फर्स्ट फ्लोर त्यागी विहार
नांगलोई दिल्ली -110041
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नांगलोई दिल्ली -110041
मोबाईल नंबर -9136397400
(किस्सा कोताह ककसाड़ स्वर्णवाणी करमबक्श हस्ताक्षर साहित्यकुंज
साहित्यनामा माही सन्देश प्रतिबद्ध आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित )
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