लक्ष्मी प्रसाद बढोनी
रोटियां दे भाषणों से पेट कब किसका भरा।
बाज आ जा हरकतों से देखता होगा खुदा।।
आदमी दुश्मन बना है आदमी का आज फिर।
कर रहा है आदमी अब देखिए क्या - क्या खता।।
रोटियों के नाम पर हमको दिखाया चांद ही।
क्या कहें किससे कहें किस बात की है ये सजा।।
बोलिए कुछ आप भी कब तक रहेंगे आप चुप।
जो नहीं था आदमी भी बन गया है देवता।।
आपने तो रोटियां देने का वादा था किया।
क्या हुआ वादा बताओ हाकिमों वो आपका।।
गलतियां अपनी छिपाने को किया क्या - क्या नहीं।
मजहबों के नाम पर इस देश में क्या - क्या हुआ।
माफ कर दे ऐ खुदा बंदे सभी हम आपके।
क्या हुई ऐसी खता सुनता नहीं है क्यूं सदा।।
कुछ करो तजबीज यारों चैन से सब जी सकें।
कब तलक ऐसे चलेगा खौफ का ये सिलसिला।।
जो फसल बोई थी तुमने काटनी होगी तुम्हें।
सर झुकाओ हाथ जोड़ो और मांगो अब दुआ।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
रोटियां दे भाषणों से पेट कब किसका भरा।
बाज आ जा हरकतों से देखता होगा खुदा।।
आदमी दुश्मन बना है आदमी का आज फिर।
कर रहा है आदमी अब देखिए क्या - क्या खता।।
रोटियों के नाम पर हमको दिखाया चांद ही।
क्या कहें किससे कहें किस बात की है ये सजा।।
बोलिए कुछ आप भी कब तक रहेंगे आप चुप।
जो नहीं था आदमी भी बन गया है देवता।।
आपने तो रोटियां देने का वादा था किया।
क्या हुआ वादा बताओ हाकिमों वो आपका।।
गलतियां अपनी छिपाने को किया क्या - क्या नहीं।
मजहबों के नाम पर इस देश में क्या - क्या हुआ।
माफ कर दे ऐ खुदा बंदे सभी हम आपके।
क्या हुई ऐसी खता सुनता नहीं है क्यूं सदा।।
कुछ करो तजबीज यारों चैन से सब जी सकें।
कब तलक ऐसे चलेगा खौफ का ये सिलसिला।।
जो फसल बोई थी तुमने काटनी होगी तुम्हें।
सर झुकाओ हाथ जोड़ो और मांगो अब दुआ।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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