रश्मि मिश्रा
तुम चरण की रेख अपनी आज मुड़ कर देख लो
जो धरा पर हो रहा है आज झुक कर देख लो।।
चांद पर अपने कदम रख कर बड़े मगरूर थे
आज अपने ही कदम को लड़खड़ाते देख लो।।
अस्त्र - शस्त्रों का जखीरा जो इकट्ठा कर लिया
इस लघुत्तम सी इकाई को हराकर देख लो।।
साधना जिन साधनों की तुमने की थी उम्र भर
आज मूर्छित से पड़े सब खोल कर दृग देख लो।।
तेरे जयघोषों से गूंजे थे जमीं और आसमां
हैं, प्रकृति के सामने कितने ये बौने देख लो।।
ये जमीं तेरी है या ये आसमां तेरा बता ....
मौत का सामान तूने जो रचाए अंजाम उसका देख लो।।
उसकी सत्ता को कभी न आजमाना ऐ मनुज
एक पल में ही पलट जाती है बाजी देख लो।।
तुम चरण की रेख अपनी आज मुड़ कर देख लो
जो धरा पर हो रहा है आज झुक कर देख लो।।
चांद पर अपने कदम रख कर बड़े मगरूर थे
आज अपने ही कदम को लड़खड़ाते देख लो।।
अस्त्र - शस्त्रों का जखीरा जो इकट्ठा कर लिया
इस लघुत्तम सी इकाई को हराकर देख लो।।
साधना जिन साधनों की तुमने की थी उम्र भर
आज मूर्छित से पड़े सब खोल कर दृग देख लो।।
तेरे जयघोषों से गूंजे थे जमीं और आसमां
हैं, प्रकृति के सामने कितने ये बौने देख लो।।
ये जमीं तेरी है या ये आसमां तेरा बता ....
मौत का सामान तूने जो रचाए अंजाम उसका देख लो।।
उसकी सत्ता को कभी न आजमाना ऐ मनुज
एक पल में ही पलट जाती है बाजी देख लो।।
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