सृष्टि शर्मा
मैं वही गरीब किसान
जो ख़ुद बासी खाकर,
तुम्हें ताजा भोजन देता हूँ
हां, मैं वही गरीब किसान
जो तुम्हें भोजन देने के लिए
दिन - रात मेहनत करता हूँ
मैं वही गरीब किसान
जो तुम्हें अन्न देने के लिए कर्ज तक लेता हूँ
और कर्ज अदा ना होने पर
आत्महत्या करने बाध्य होता जाता हूँ
मैं वही गरीब किसान
जो खुद कर्ज लेकर औरों के पेट भरता हूँ
हां, वही गरीब किसान
जो तुम्हें भोजन देने के लिए
दिन - रात मेहनत करता हूँ
मैं वही गरीब किसान
जिसके कपड़ों से पसीने की बूँ आती है
हां, वही गरीब किसान,
जिसके पास भी बैठने से
दुनिया हिचकिचाती है
मैं वही गरीब किसान
जो अपने खून पसीने से
एक - एक फसल सींचता हूँ
हां, वही गरीब किसान
जो तुम्हें भोजन देने के लिए
दिन - रात मेहनत करता हूँ
मैं वही गरीब किसान
जो फसलों के लिए वर्षा की दुआ करता हूँ
हां, वही गरीब किसान
जिसकी छपरी से पानी टिपकता है
मैं वही गरीब किसान
जो भींगते भागते भी खेती करता हूँ
हां....वही गरीब किसान
जो तुम्हें भोजन देने के लिए
दिन - रात मेहनत करता हूँ ....।।
गली नं. 5, एकता चौंक, ममता नगर
राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ )
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