इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 25 नवंबर 2019

कब तक सहूँगी

सौरभ कुमार ठाकुर 

कब तक सहूँगी प्रताड़ना,
कभी तो पूरी करो मेरी कामना ।
चीख -  चीखकर रो रही हूँ मैए
कभी तो मान लो मेरी कहना ।
मत करो तुम मेरी अवमानना,
नही तो बाद में  पछताना।
नारी शक्ती बन कर तैयार हूँ मै,
अभी कभी मत मुझसे टकराना ।
मत करो तुम किसी पर प्रताड़ना,
दहेज के लिए बहुओं को मत जलाना ।
नही तो नारी चंडी बन जाएगी ।
फिर मुश्किल हो जाएगा तुम्हारा जीना ।
अब नही करना तुम किसी से प्रताड़ना,
अब तो है पूरा जागरुक जमाना ।

बालकवि एवं लेखक
मुजफ्फरपुर, बिहार
सम्पर्क : . 8800416537

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें