सुशील भोले
सुन संगी मोर, कब होबो सजोर
आंखी ले झांकत हे, आंसू के लोर
काला अच्छे दिन कहिथें, मन मोर गुनथे
तिड़ी- बिड़ी जिनगी ल, मोती कस चुनथे
किस्मत गरियार होगे, ते लेगे कोनो चोर
सरकार तो देथे कहिथें आनी - बानी के काम
बीच म कर देथे फेर, कोन हमला बेकाम
मुंह के कौंरा नंगाथे, देथे कनिहा ल टोर
रंग - रंग के गोठ होथे, रंग - रंग के बोल
आगे सुराज कहिके, पीटत रहिथें ढोल
फेर बरही दीया सुख के, कब होही अंजोर
संजय नगर,
रायपुर छ.ग.
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