(1)
कोयलिया का गान गया।
कोयलिया का गान गया।
हंसों का बलिदान गया।।
झूठों को अब मान मिला ।
सच्चों का सम्मान गया।।
(2)
(2)
चाहे शबरी नाम मिले।
या केवट का काम मिले।।
जिसके मन में मैल भरा।
उसको कैसे राम मिले ।।
(3)
घर ' ऑगन यूं सून किया है।
जख्मी यह कानून किया है।।
जिसके सिर पे ताज उसी ने।
अरमानों का खून किया है।।
(4)
' अंकुर ' धाब छिपाये कैसे।
मन की पीर बताये कैसे ।।
बैरी जब मधुमास हुआ।
खुशियॉं भी मुस्काये कैसे।।
(5)
रूठा वह मधुमास गया।
दूर बहुत उल्लास गया।।
कुछ भी ' अंकुर ' शेष नहीं।
मन का जब विश्वास गया।।
पता -
हठीला भैरूजी का टेक
मण्डोला वार्ड,
बारां - 325205
मोबाईल : 09461295238
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