- डॉ. मणी मनेश्वर साहू ' ध्येय ' -
जिन्दगी एक कशिश है
है जीने की, एक तमन्ना
उद्धेलित भावनाएं
सिमटी - सी बैठी
दिल के एक कोने में
फिर अरमानों के उजालों में
रौशनी भरी
अचानक जगमगा उठी है - जिन्दगी
खुला आकाश
बहुत कुछ पाने की एक चाह लिये
परन्तु ... फिर ये क्या ?
सहमी - सी
फीकी पड़ी, मुरझा गई।
जरा सोच,
बैर को भगाना, बैर से बचना, बचाना
हाँ, यही तो है
सावधानी हमारी आपकी
जिन्दगी की।
पता
पिताम्बर कुंज, गीतांजली चौक
नवागाँव खिसोरा, पो. - धौराभाठा
व्हाया - पाण्डुका, जिला - धमतरी ( छ.ग.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें