- आलोक तिवारी -
जो न आये पालकी में बैठकर
ना कहारों के कंधे में चढ़कर
चल के आये अपने पैरों से।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो कभी न कराये भू्रण लिंग परीक्षण
समझे लिंग अनुपात का महत्तव
ताकि बेटियाँ मुस्करा सके।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो पानी का न करे फिजूल खर्च
करे जल की बचत ताकि बच सके
नदिया - तालाब और हम।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो समझे ऊर्जा संरक्षण का मतलब
बुझा के रखे अनावश्यक बत्तियाँ
ताकि रोशन हो सके कई और घर
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो जाने वृक्षों का महत्व
पूजे वट वृक्ष पीपल को, अपने हाथों से
लगाये पौधे ताकि हो सके
धरती का श्रृंगार और मुझे दहेज में मिले
स्वस्थ जीवन की सौगात।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो बैठी ना रहे रंगों के इंतजार में
आटे से भी बना सके रंगोली
भर सके अपने प्यार का रंग।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो नये बर्तन खरीदे तो
लिखवाये तेरा नाम
ताकि घर रह सके एक
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो बच्चे के दाखिले के समय
बाप के साथ चढ़वाये अपना भी नाम
ताकि वल्दियत को सही पहचान मिले
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो हो दूरदृष्टा
पर हर चीज को देखती हो निकट से
जो न आये पालकी में बैठकर
ना कहारों के कंधे में चढ़कर
चल के आये अपने पैरों से।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो कभी न कराये भू्रण लिंग परीक्षण
समझे लिंग अनुपात का महत्तव
ताकि बेटियाँ मुस्करा सके।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो पानी का न करे फिजूल खर्च
करे जल की बचत ताकि बच सके
नदिया - तालाब और हम।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो समझे ऊर्जा संरक्षण का मतलब
बुझा के रखे अनावश्यक बत्तियाँ
ताकि रोशन हो सके कई और घर
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो जाने वृक्षों का महत्व
पूजे वट वृक्ष पीपल को, अपने हाथों से
लगाये पौधे ताकि हो सके
धरती का श्रृंगार और मुझे दहेज में मिले
स्वस्थ जीवन की सौगात।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो बैठी ना रहे रंगों के इंतजार में
आटे से भी बना सके रंगोली
भर सके अपने प्यार का रंग।
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो नये बर्तन खरीदे तो
लिखवाये तेरा नाम
ताकि घर रह सके एक
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो बच्चे के दाखिले के समय
बाप के साथ चढ़वाये अपना भी नाम
ताकि वल्दियत को सही पहचान मिले
अम्मा ऐसी बहू लाना
जो हो दूरदृष्टा
पर हर चीज को देखती हो निकट से
- पता - रत्ना निवास, पाठक वार्ड, कटनी ( म. प्र.)
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