- जितेन्द्र ' सुकुमार ' -
पत्थरों से सर टकराने का अंजाम मिला।
बेवजह मुस्कराने का अंजाम मिला।
लोग दुश्मन को गले लगाते हैं खुशी से,
मुझे दोस्तों को गले लगाने का अंजाम मिला।
वो बेनज़ीर है इसमें मेरा क्या कसूर,
हमें नज़र से नज़र मिलाने का अंजाम मिला।
छुपाने वाले छुपाते रहे दास्ता ए हकीकत,
हमें हमराज बनाने का अंजाम मिला।
क्या माना हमने गैरों को अपना,
हमें रिश्तें निभाने का अंजाम मिला।
अच्छा था उजड़ा ही रहा हयात सुकुमार,
यहाँ जि़दगी को सजाने का अंजाम मिला।
पत्थरों से सर टकराने का अंजाम मिला।
बेवजह मुस्कराने का अंजाम मिला।
लोग दुश्मन को गले लगाते हैं खुशी से,
मुझे दोस्तों को गले लगाने का अंजाम मिला।
वो बेनज़ीर है इसमें मेरा क्या कसूर,
हमें नज़र से नज़र मिलाने का अंजाम मिला।
छुपाने वाले छुपाते रहे दास्ता ए हकीकत,
हमें हमराज बनाने का अंजाम मिला।
क्या माना हमने गैरों को अपना,
हमें रिश्तें निभाने का अंजाम मिला।
अच्छा था उजड़ा ही रहा हयात सुकुमार,
यहाँ जि़दगी को सजाने का अंजाम मिला।
- पता - चौबेबांध राजिम, जिला - रायपुर (छ.ग.)
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