इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

बुधवार, 12 जून 2013

गांधी फेर आजा ...


  • नन्दकुमार साहू
बाढ़त हे भारत म दिनों दिन, भारी अतियार
गांधी फेर आजा एक बार
        अहिंसा सत के बल म, अँगरेज ल तैंह भगाए ।
        आतंकवादी ऊहँचे, रोज कतको खून बहाए ।।
जनता के इहाँ हाल बेहाल हे, मस्त हवे सरकार
गांधी फेर आजा एक बार
        ओकरे सिंग बाढ़े हे, जेन हावे लबरा लफंगा ।
        पूरा देस दहलगे हे, जघा - जघा होवत हे दंगा ।।
नइ हे गरीब के आँसू पोछैया, रोवत हे बोमफार
गांधी फेर आजा एक बार
        दफतर करमचारी, आफिस के अधिकारी ।
        नेता अउ बय पारी, सब हे भ्रष्‍टाचारी ।।
देस ल ठाढ़े - ठाढ़ लिलत हे, भय , भूख, भ्रष्‍टाचार
गांधी फेर आजा एक बार
        बिन आँखी, कान, मुँहू के, तोर तीनों बेंदरा का बताही ।
        नियाले म घलो बिकथे, वकील, जज, अउ गवाही ।।
संसद म अब देस बिकत हे, लेही कोनो लेनदार
गांधी फेर आजा एक बार
        का सोंचे रेहे तैंह, अऊ फेर का होवत हे ।
        पाके सुराज उलटा, मुड़ धरके रोवत हे ।।
राम राज के सपना सँजोए, होगे वहू खुवार
गांधी फेर आजा एक बार
  • ग्राम - धामनसरा (मोखला)पोष्‍ट - सुरगी, जिला -राजनांदगांव (छ.ग.),
  •  मोबाइल - 9329 - 95482

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