विजय मिश्रा 'अमित'
गांव ल छोंड़ के कई बछर पहिली महानगर बम्बई म जा बसे अपन एक झिन धनवान मितान प्रदीप भोले के न्योता पा के राधेलाल हर नवां बछर के पहिली दिन बम्बई हबरे रहिस। उहां मितान के नवा बने जबड़ बंगला ल देख के राधे ल गरब होवत रहिस। बंगला म नौकर- चाकर गाड़ी- घोड़ा के भरमार रहिस।
बंगला भीतर कांच के बने बड़े-बड़े एक्वेरियम म महंगी- महंगी रंग रंग के मछरी तऊंरत रहिन। बड़े जनिक पिंजरा म धंधाए किसिम किसिम के चिरई मन चीं चीं करत रहिन। एती ओति बड़े बड़े भोकन्डा कुकुर,चेपटा मुंहू के कुकुर, सादा झबरा कुकुर के संग म गद्दीदार सोफासेट म सुतत करिया, सादा बिलई तको दिखिन।
राधेलाल हर देखिस कि धनवान मितान भोले अउ ओखर घरगोंसाईन ह मछरी,कुकुर,बिलई अउ चिरई मन ल मया देखावत कूद कूद के दाना पानी देवत हें।जेला देख के ओहर बोलिस - भोले भाई,तुंहर दयालुता अउ जीव जंतु मन बर मया ल देख देख के मोर मन ह गदगद होगे हे जी,फेर तुमन के लोग लइका कय झन हें? कहां कहां हावयं? एको झन दिखत नीएं?
राधेलाल के सवाल के जवाब भोले के घरगोंसाईन हर हांसत-हांसत दीस - अरे ! का बताबे राधे भइया, दू झिन लइका हावयं,फेर हमन ओमन खातिर थोरको समय नी निकाल पावन।ते पाए के दूनो लइका के देखरेख बर अलग-अलग दू झिन आयाबाई राखे हावन। उही मन ह लइका मन ल बगीचा म कोनो मेर खेलावत- खवावत होहीं।
अइसन जवाब सुनके राधे हर भक्क खा गे। सन्न रही गे।तभे एक ठिन झबरा कुकुर ल अपन तीर म ओधत देख के राधे हर ओला झटक दीस अउ दूररे दूररे चिल्लाइस।जेला देख के भोले ह खलखला के हांसत बोलिस- अरे,ओला चमका झन राधे भाई। हमर लइका बरोबर आए।काहिं नी करे ओहर।
अतका कहत भोले ह ओ झबरा कुकुर ल अपन कोरा म बइठार के पुचकारत चूमे लागिस।तेन ल देखते साथ राधे के तन मन म आगी लग गे।अपन मन ल मड़ावत ओहर बोलिस -अच्छा.. अच्छा..। बने बात हे।फेर लइका अउ कुकुर एके थोरे हो जाहीं जी। भोले भाई ए तो बता बाबूजी कहां हे?ओहू हर दिखत नीए?
राधे के ए सवाल ल सुन के भोले थोरिक सकपकागे।अउ कोरा म बइठारे कुकुर ल भुइयां म उतारत बोलिस -अरे यार, मां के मरे के पाछु बाबूजी ल अकेलापन हर दिन रात चाबय।भांय भांय करत घर म ओखर बेरा नी कटत रहिस। ते पाए के हमन बाबूजी ल ' वृद्ध आश्रम' म भेज देहे हन। उहां ओहर बढ़िया हावय।
तभे भोले जी के घर के कमेलहिन ह चाय पानी ले के आइस।फेर भोले के घर के हालचाल,आचार बिचार ल देख सुन के राधे के मन ह भारी होगे रहिस। उहां थोरको देर रूके के मन नी होवत रहिस। ते पाए के बहाना बनावत राधे बोलिस- भोले भाई,आज मंगलवार के मोर तो निरजला उपास हावय। में कुछु खावंव पीववं नहीं। मोला अब बिदा दव।राधे के हाव-भाव ल देखत भोले अउ ओखर घरगोंसाईन ल अंदाजा लगगे कि घर के हाल चाल हर राधे ल पोसावत नीए।
राधे हर वापिस जाए बर खड़े होगिस। त भोले ह बोलिस - ठीक हे भाई, अपन घर समझ के आवत जावत रहिबे।भोले के बात हर आगी म घीवं डारे कस काम करीस। राधे फट पड़ीस -भोले भाई, अब तोर घर हर घर कहां रही गे हे? अरे! तोर घर म तो लोग लइका,सियान सामरथ के रहे ठिकाना नीए। मोला तो अइसे लागत हे कि तोर घर हर घर नहीं चिड़ियाघर बनगे हावय।भोले भाई,जेन दिन घर अउ चिड़ियाघर म फरक ल समझ जाबे तेन दिन तोर घर म आहूं,खाहूं पीहूं।
राधे के गोठ अऊ दुत्कार ल सुन के भोले के आंखी खुलगे ।ओहर राधे ल पोटारत बोलिस- भाई मोर मति पलट गे रहिस। चेथी कोति गए मोर आंखी ल आघु म लान के खोल देहे हस।अभीचे बाबूजी ल बृद्ध आश्रम ले लानहूं।संग म तहूं हर चल। नवा बछर म नवा घर म बाबूजी के चरण हर पर जाही।
राधे अउ भोले दूनो झन बाबूजी ल लेहे बर चल दीन।तभे भोले के घरगोंसाईन हर तको घर के अंगना म चऊंक पूरत, दिया बारत नवा बछर के नवा रद्दा ल संवारे बर, ओमा रेंगे बर भीड़गे।
एम 8 सेक्टर 2, अग्रोहा कॉलोनी, पोऑ- सुंदर नगर रायपुर (छग) 492013 मो. 9893123310
बंगला भीतर कांच के बने बड़े-बड़े एक्वेरियम म महंगी- महंगी रंग रंग के मछरी तऊंरत रहिन। बड़े जनिक पिंजरा म धंधाए किसिम किसिम के चिरई मन चीं चीं करत रहिन। एती ओति बड़े बड़े भोकन्डा कुकुर,चेपटा मुंहू के कुकुर, सादा झबरा कुकुर के संग म गद्दीदार सोफासेट म सुतत करिया, सादा बिलई तको दिखिन।
राधेलाल हर देखिस कि धनवान मितान भोले अउ ओखर घरगोंसाईन ह मछरी,कुकुर,बिलई अउ चिरई मन ल मया देखावत कूद कूद के दाना पानी देवत हें।जेला देख के ओहर बोलिस - भोले भाई,तुंहर दयालुता अउ जीव जंतु मन बर मया ल देख देख के मोर मन ह गदगद होगे हे जी,फेर तुमन के लोग लइका कय झन हें? कहां कहां हावयं? एको झन दिखत नीएं?
राधेलाल के सवाल के जवाब भोले के घरगोंसाईन हर हांसत-हांसत दीस - अरे ! का बताबे राधे भइया, दू झिन लइका हावयं,फेर हमन ओमन खातिर थोरको समय नी निकाल पावन।ते पाए के दूनो लइका के देखरेख बर अलग-अलग दू झिन आयाबाई राखे हावन। उही मन ह लइका मन ल बगीचा म कोनो मेर खेलावत- खवावत होहीं।
अइसन जवाब सुनके राधे हर भक्क खा गे। सन्न रही गे।तभे एक ठिन झबरा कुकुर ल अपन तीर म ओधत देख के राधे हर ओला झटक दीस अउ दूररे दूररे चिल्लाइस।जेला देख के भोले ह खलखला के हांसत बोलिस- अरे,ओला चमका झन राधे भाई। हमर लइका बरोबर आए।काहिं नी करे ओहर।
अतका कहत भोले ह ओ झबरा कुकुर ल अपन कोरा म बइठार के पुचकारत चूमे लागिस।तेन ल देखते साथ राधे के तन मन म आगी लग गे।अपन मन ल मड़ावत ओहर बोलिस -अच्छा.. अच्छा..। बने बात हे।फेर लइका अउ कुकुर एके थोरे हो जाहीं जी। भोले भाई ए तो बता बाबूजी कहां हे?ओहू हर दिखत नीए?
राधे के ए सवाल ल सुन के भोले थोरिक सकपकागे।अउ कोरा म बइठारे कुकुर ल भुइयां म उतारत बोलिस -अरे यार, मां के मरे के पाछु बाबूजी ल अकेलापन हर दिन रात चाबय।भांय भांय करत घर म ओखर बेरा नी कटत रहिस। ते पाए के हमन बाबूजी ल ' वृद्ध आश्रम' म भेज देहे हन। उहां ओहर बढ़िया हावय।
तभे भोले जी के घर के कमेलहिन ह चाय पानी ले के आइस।फेर भोले के घर के हालचाल,आचार बिचार ल देख सुन के राधे के मन ह भारी होगे रहिस। उहां थोरको देर रूके के मन नी होवत रहिस। ते पाए के बहाना बनावत राधे बोलिस- भोले भाई,आज मंगलवार के मोर तो निरजला उपास हावय। में कुछु खावंव पीववं नहीं। मोला अब बिदा दव।राधे के हाव-भाव ल देखत भोले अउ ओखर घरगोंसाईन ल अंदाजा लगगे कि घर के हाल चाल हर राधे ल पोसावत नीए।
राधे हर वापिस जाए बर खड़े होगिस। त भोले ह बोलिस - ठीक हे भाई, अपन घर समझ के आवत जावत रहिबे।भोले के बात हर आगी म घीवं डारे कस काम करीस। राधे फट पड़ीस -भोले भाई, अब तोर घर हर घर कहां रही गे हे? अरे! तोर घर म तो लोग लइका,सियान सामरथ के रहे ठिकाना नीए। मोला तो अइसे लागत हे कि तोर घर हर घर नहीं चिड़ियाघर बनगे हावय।भोले भाई,जेन दिन घर अउ चिड़ियाघर म फरक ल समझ जाबे तेन दिन तोर घर म आहूं,खाहूं पीहूं।
राधे के गोठ अऊ दुत्कार ल सुन के भोले के आंखी खुलगे ।ओहर राधे ल पोटारत बोलिस- भाई मोर मति पलट गे रहिस। चेथी कोति गए मोर आंखी ल आघु म लान के खोल देहे हस।अभीचे बाबूजी ल बृद्ध आश्रम ले लानहूं।संग म तहूं हर चल। नवा बछर म नवा घर म बाबूजी के चरण हर पर जाही।
राधे अउ भोले दूनो झन बाबूजी ल लेहे बर चल दीन।तभे भोले के घरगोंसाईन हर तको घर के अंगना म चऊंक पूरत, दिया बारत नवा बछर के नवा रद्दा ल संवारे बर, ओमा रेंगे बर भीड़गे।
एम 8 सेक्टर 2, अग्रोहा कॉलोनी, पोऑ- सुंदर नगर रायपुर (छग) 492013 मो. 9893123310
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