इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 18 अगस्त 2025

किताब अउ मोबाइल के गोठ

मोबाइल कहिस-
मँय 4G,,,5G ले भरपूर हँव
तोला....दुनियादारी  देखाहुँ
बस चार्जिंग म कमजोर हँव!

किताब कहिस-
मँय बिन बैटरी के चलथंव
जतका  बार  तँय ह पढ़बे
वोतका बार चार्जिंग होथंव !

मोबाइल कहिस-
मोर स्क्रीन म गेम खेल लेबे
फेसबुक अउ व्हाट्सएप म
लइका  जइसन  झूम लेबे !

किताब कहिस-
मोर  पन्ना  पलट  के  देख
ग्यान  मिलही  भर,भर के
मिलही  जिनगी  के  लेख !

मोबाइल  बड़  चमकावय
कभू  हैंग  मँय  हो जाथंव,
ये  क़िताब  ह  मुसकावय
मँय सरलग काम आथंव !

सच म
ये मोबाइल ह  जेब ल भारी करथे
अउ 
क़िताब दिमाग ल उजियारी करथे !

          राजकुमार 'मसखरे'

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