इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 31 मई 2021

खामोशी

अंजु ' अना '


' कहाँ फोन पर उलझी हो एक घंटे से, भूख से व्याकुल वृद्धा के कानों में बेटे की तहदार आवाज पड़ी तो दिल डोल गया। भगवान! फिर महाभारत न शुरू हो जाए। दिल ही दिल में ईश्वर को याद किया। बाहर बहस शुरू हो गई थी।
' घड़ी भर को बर्दाश्त नहीं होता आप लोगों को मेरा हँसना , मैं  हूंँ जो सबके लिए मरती रहती हूँ। '' बहू नें ' आ देखें ज़रा' वाले अंदाज में ललकारा तो बेटा भी पीछे न रहा।
' कब से फोन पर लगी हो, माँ को नाश्ता देना भी याद रहता है कि नहीं ' 
' क्‍यों नहीं, तुम, तुम्हारी माँ,तुम्हारे बच्चे,ये.वो ' 
बेटा कमरे में आया तो बहू की चीखती आवाज भी साथ में आ गई।
- माँ! नाश्ता किया कि नहीं।'
-  खाने का नाम न लेना बेटा, सुबह से खट्टे डकार आ रहे हैं। रात को सो नहीं पाई  ठीक से,थोड़ी देर सोउंँगी तो ठीक हो जाएगा।' माँ नें बेटे की हर चिंता पल भर में दूर कर दी।


जमशेदपुर,झारखंड

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