रीतुगुलाटी’ ऋतंभरा’
जब भी हर्षिता को माँ का फोन आता। हरबार वो एक ही बात पूछती - कब आओगी मायके?अब तो तुम्हारे भाई - भाभी भी इतनी दूर चले गये नौकरी के कारण ...।
तुम्हारी बड़ी याद आती है।कितनी बार तो हर्षिता आऊँगी,आँऊगी कहकर माँ को चुप करा देती,पर एक दिन वो माँ पर चिल्लाकर बोली - माँ तुम कितना मायके जाती थी। हम दोनों बच्चों के आ जाने पर तुम तो कभी मामा को राखी बाँधने भी नही गयी। हमारी सेवा में ही लगी रहती। अब मेरा आफिस भी है,बिटिया भी छोटी है, कैसे आऊँ ...कहा ना समय मिलेगा तो आ जाऊँगी। बिटिया की बातें सुन माँ की आँखे भर आयी। तभी उसे अपनी रोती हुई बूढ़ी माँ की तस्वीर आँखो के सामने आ गयी।
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