इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

बुधवार, 17 जून 2020

चिंतन - सीएम राइस प्रशिक्षण पर मेरे विचार

                ✍️ *गोपाल कौशल* 

          निश्चित ही चिंतन " प्रभावी शिक्षण का आधार हैं " । शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमें बहुत से कारक शामिल होते हैं । सीखाने वाला जिस तरीके से अपने योजित लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए नया ज्ञान,आचार -विचार और नवाचार कौशल को समाहित करता हैं ताकि उसके सीखाने के अनुभवों में विस्तार हो सके । लेकिन मैंने जब cm rise के इस प्रशिक्षण को किया तो इस प्रशिक्षण में बताएं चिंतन के 6 स्तरों ने काफी प्रभावित किया जो मुझे अपनी शाला के उन आखरी पंक्ति में मौन बैठने वाले बच्चों व शरारती बच्चों  की ओर ले जाता हैं जो चिंतन का विषय रहा,जिसके लिए मैंने सबसे पहले ऐसे बच्चों को अभिव्यक्ति के अवसर दिए ,कक्षा प्रतिनिधि की जिम्मेदारी प्रदान की ,शाला की हर गतिविधियों में इनकी भागीदारी सुनिश्चित की ....देखते ही देखते बदलाव के सुखद परिणाम आए आज शाला के सभी बच्चे भयमुक्त और आनंद के साथ कक्षा कार्य हो या गृह कार्य हो या फिर चाहें शालेय गतिविधियां ही क्यों न हों उत्साह के साथ प्रतिभाग करते हैं । जो मन को सुकुन देता है कि हमारा चिंतन ही हमारे कार्य को चेतन करता है । 
           डॉनल्ड शून ने सच ही कहा कि :- चिंतनशील शिक्षण की मदद से शिक्षक अपने छिपे ज्ञान के बारे में सजग हो पाते हैं और अपने अनुभवों से सीख पाते हैं । समझ का विकास निरन्तर बढ़ने-लिखने ,स्वयं के चिंतन करने,दूसरे के विचारों को सुनने,समस्याओं का विश्लेषण करने ,विचारों का संश्लेषण करने ,तार्किक ढंग से अपने विचारों को प्रस्तुत करने ,कार्य करने ,कार्य -कारण संबंध ढूंढने, चिंतन प्रक्रिया में पर शोधन करने ,लीक से हटकर चिंतन करने,पूर्वानुमान लगाने, आत्मावलोकन व आत्म परीक्षण से होता हैं । सोचने,विचारने ,चिंतन करने की प्रक्रिया में मौलिकता हो ।
            बच्चे उन लोगो से नही सीखते जिनको वह पसंद नही करते । अतः हम सबसे पहले बच्चों के पसंदीदा बनें । जिससे बच्चों को सीखने में मजा,आनंद आए ।बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा करें ।जिनके प्रयासों की जाती हैं वह अपने जीवन बेहतर कार्य करते है । हमें अपने व्यक्तित्व की अच्छाइयों- बुराईयों की स्वयं सूची बनानी चाहिए और जो चीजें ज्ञान और टैलेंट से जुडी हो उसे उभारना चाहिए । हर दिन हम कुछ नया सीखनें की कोशिश करें  । बच्चों के मन में एक सपना बुनना सिखाएं , इससे एक प्रेरणा प्राप्त होती हैं । जो भी बच्चे हमारे पास आते हैं वह विभिन्न कठिनाइयों व अभावों से ग्रसित होते हैं ,उन्हें जब हमारा स्नेह मिलता है तो उन्हें लगता है कि हमारा सुनहरा जीवन सही हाथों में है । हम बच्चों को आत्म अभिव्यक्ति से प्रेरित लेखन हेतु प्रोत्साहित करें । बच्चों के मुस्कुराते चेहरे हमारे चिंतन की सार्थकता हैं ,जो हमें राष्ट्र निर्माता जैसे पद से गौरवान्वित कर रही हैं ।

        ✍️ *गोपाल कौशल*
               *प्राथमिक शिक्षक*
 *शासकीय नवीन प्रावि नयापुरा माकनी* 
 *जिला धार मध्यप्रदेश*
      *99814-67300*

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