गोपेंद्र कुमार गौतम
प्रत्येक घृणित कार्यों को,
करने के लिए जो मजबूर,
जिसे कर सके कोई न और,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
सुबह होते जो घर छोड़ दें,
बिलखते बच्चों से मुंह मोड़ लें,
बीमार पत्नी की उम्मीद तोड़ दें,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
धरती की जो सीना चीर दें,
सूरज की तपिश झेल लें,
बारिश के जो गुरुर तोड़ दें,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
जूते को पहनने लायक बना दें
शौचालय में जाने लायक बना दें,
गलियों को चलने लायक बना दें,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
रिक्शा खींच जो घर पहुंचा दें,
ठेला ठेलकर सब्जी पहुंचा दें,
जूठे बर्तन को जो चमका दें,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
एक-एक ईंट ढोकर घर बना दें'
जान जोखिम डाल पेंट लगाएं,
रात होते कहीं खुले में सो जाएं,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
जो सभी का बोझ उठाएं,
मरने पर श्मशान पहुंचाएं,
खुद मरे तो अवैध कहलाएं,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।
चुनाव मे सिर्फ जो याद आएं,
झूठी भाषणों से जो ठगे जाएं,
जलालत में जीने को जो मजबूर,
वह दुनिया के गरीब मजदूर।।
सामाजिक और राजनीतिक चिंतक
देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर
औरंगाबाद बिहार
824113
9507341433
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