अर्चना व्दिवेदी
कलियाँ उपवन में महफूज़ न हो अगर,
बागबां का गुलिस्तां उजड़ जाएगा।।
हर कली मुस्कुराये वो अवसर तो दो,
आसमाँ से फरिश्ता उतर आएगा।।
आसमाँ से फरिश्ता उतर आएगा।।
रब की रहमत बरसती रहेगी सदा,
बेटी-बेटो में अंतर न रह जायेगा।।
बेटियाँ चाँद सूरज सी चमकेंगी जब,
स्वर्ग आकर धरा पर ही बस जाएगा।।
सर पे आँचल न हो भाल सूना लगे,
माँ,बहन,बेटी किसको तू कह पायेगा।।
मां का पूजन करो बेटी इज्जत बने,
तेरा घर देव मंदिर सा बन जाएगा।।
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