सूरज दादा छुट्टी पर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
सुबह हुई है कुहरा है।
अलसाया सा चेहरा है।।
फिर भी जाना है दफ्तर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
टंकी का पानी ठंडा।
कर्तव्यों का पर डंडा।।
छोड़ दिया जल्दी बिस्तर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
ब्रेकफास्ट जल्दी-जल्दी।
चाहे हो कितनी सर्दी।।
टिफिन लिया औ' छोड़ा घर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
दिन भर बेहद काम किया।
तनिक नहीं आराम किया।।
ऑफिस से लौटे थककर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
घर में भी ऑफिस का काम।
पापा जी! कर लो आराम।।
कल है मीटिंग का चक्कर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
-गौरव वाजपेयी "स्वप्निल"
अलसाया सा चेहरा है।।
फिर भी जाना है दफ्तर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
टंकी का पानी ठंडा।
कर्तव्यों का पर डंडा।।
छोड़ दिया जल्दी बिस्तर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
ब्रेकफास्ट जल्दी-जल्दी।
चाहे हो कितनी सर्दी।।
टिफिन लिया औ' छोड़ा घर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
दिन भर बेहद काम किया।
तनिक नहीं आराम किया।।
ऑफिस से लौटे थककर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
घर में भी ऑफिस का काम।
पापा जी! कर लो आराम।।
कल है मीटिंग का चक्कर।
पापा अपनी ड्यूटी पर।।
-गौरव वाजपेयी "स्वप्निल"
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