*अनिता सिंह ‘अनित्या’
कभी जब तुमको मेरे ये तराने याद आएंगे।
मेरे तब प्यार के सारे फसाने याद आएंगे।
मेरे तब प्यार के सारे फसाने याद आएंगे।
मिलेंगे हम नहीं तुमको तुम्हारे अंजुमन में तो
हमारे सब तुम्हें किस्से पुराने याद आएंगे।
हमारे सब तुम्हें किस्से पुराने याद आएंगे।
तेरे कांधे पे सर रख कर शिकायत जो किया करते
नहीं होंगे अगर तुम तो वो शाने याद आएंगे।
नहीं होंगे अगर तुम तो वो शाने याद आएंगे।
चला करती थीं जो तुझसे मेरी वो रात भर बातें
तेरी अनमोल बातों के ख़ज़ाने याद आएँगे।
तेरी अनमोल बातों के ख़ज़ाने याद आएँगे।
ज़रा सी बात पर तुम जा रहे हो ज़ीस्त से मेरी
यकीनन मुझ पे सारे हक़ जताने याद आएँगे।
यकीनन मुझ पे सारे हक़ जताने याद आएँगे।
मुलाकातों की खातिर जिद कभी नाराज हो जाना
कभी अश्कों के गौहर सब बहाने याद आएंगे।
कभी अश्कों के गौहर सब बहाने याद आएंगे।
बनोगे जब कभी तुम आसमां के शम्स चमकीले
“अनित्या” साथ के पल क्या सुहाने याद आएँगे।
“अनित्या” साथ के पल क्या सुहाने याद आएँगे।
मयूर विहार,फेज 1 दिल्ली
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