डॉ. वीरेन्द्र पुष्पक
वो जो आंखों से मेरी, दिल में उतर जाने के बाद।
अब न आएगा कभी वो, उम्र भर जाने के बाद।।
जिसको सब कहते हैं आदत, वोतो उसकी है अदा।
अच्छा लगता है मुझे, कहकर मुकर जाने के बाद।।
राह हम तकते रहे, पलके बिछाये देर तक।
तूने मुड़ कर भी न देखा था, गुजर जाने के बाद।।
तेरी महफ़िल से जब उठ्ठे, तोये आया था ख्याल।
अब न आएंगे कभी हम, लौटकर जाने के बाद।।
जब तलक है जिंदगी, तुम आँख का पानी रहो।
कौन पूछेगा तुम्हें,पलको से गिर जाने के बाद।।
डूबने वाले को, तिनके का सहारा मिल गया।
अब सुकूँ है दिल को दरिया,पार कर जाने के बाद।।
दिल तो शीशा है जरा सी, चोट से टुकड़े हुआ।
ये सिमटता ही नहीं, अक्सर बिखर जाने के बाद।।
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