इन्द्रा रानी
सकून 1
देखा जो जोशे - जनून उसकी चाहों में
घबरा के भर लिया आसमां बाँहों में।
ठिठकती हूँ फूलों की राह पे चलते
उग आये काँटे शायद इन पाँवो में।
खुद से कभी खुदा से जुदा जीने लगे
बिखरे हैं ख्वाब घिर गए निगाहों में।
झुलसा के उम्र आधी शहरी धूप से
पाया सकूंन कुदरत की पनाहों में।
खोया है जो प्यार शायद लौट आयेगा
गुजरा है जीवन उम्मीद के गाँवों में।
सब्र 2
शब ए गम निभाएंगे सितम होने तक
सपनों के सहारे हैं सहर होने तक।
लुटी है प्यार की बस्ती मगर इतनी नहीं
अभी जवाँ हैं हौंसले कहर होने तक।
होठों से लगा बैठें हैं हम गर्दिश के प्याले
घूँट घूँट पी रहे हैं ज़हर होने तक।
कबूल है हमें जो भी मिल जाए नसीब से
टूटे न सब्र दुआ है मेहर होने तक।
524 पॉकेट .5 मयूर विहार फेस .1 दिल्ली .110091
मोबाईल : 08368269608
सकून 1
देखा जो जोशे - जनून उसकी चाहों में
घबरा के भर लिया आसमां बाँहों में।
ठिठकती हूँ फूलों की राह पे चलते
उग आये काँटे शायद इन पाँवो में।
खुद से कभी खुदा से जुदा जीने लगे
बिखरे हैं ख्वाब घिर गए निगाहों में।
झुलसा के उम्र आधी शहरी धूप से
पाया सकूंन कुदरत की पनाहों में।
खोया है जो प्यार शायद लौट आयेगा
गुजरा है जीवन उम्मीद के गाँवों में।
सब्र 2
शब ए गम निभाएंगे सितम होने तक
सपनों के सहारे हैं सहर होने तक।
लुटी है प्यार की बस्ती मगर इतनी नहीं
अभी जवाँ हैं हौंसले कहर होने तक।
होठों से लगा बैठें हैं हम गर्दिश के प्याले
घूँट घूँट पी रहे हैं ज़हर होने तक।
कबूल है हमें जो भी मिल जाए नसीब से
टूटे न सब्र दुआ है मेहर होने तक।
524 पॉकेट .5 मयूर विहार फेस .1 दिल्ली .110091
मोबाईल : 08368269608
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