डॉ. अंशु सिंह
विश्वनाथ इतिहास तुम्हारा, आज ध्वनित हो काव्य बना,
वर्तमान की विजय नींव,स्वर्णिम भविष्य संभाव्य बना॥
जहाँ जहाँ घन तिमिर, वहाँ पर भर दी दिव्य विभा प्यारी,
दुर्बल प्राणों की नस - नस में, फूंकी जीवन चिंगारी॥
उनकी विभा प्रदीप्त करें है, जन मन का कोना कोना,
ले ले नाम अगर दुश्मन भी,चमक उठे बन कर सोना॥
काशी में वरदान मिला था, तुम रण कभी विजेय नहीं,
रजकण हो या परिजात तुम,कोई रूप अगेय नहीं॥
एक एक जनगणमन जिनको, पल पल शीश झुकाते हैं,
जिनकी एक झलक पाने को,निज सौभाग्य बताते हैं॥
कर्णधार भारत के नाविक, अविचल लक्ष्य तुम्हारा है,
विजय - पथ के तुम अनुगामी,यह सौभाग्य हमारा है॥
प्रति पल नव उत्साह सृजित हो, जन जन मध्य समाता है,
हुंकार जहाँ तुम भरते हो,इतिहास बदलता जाता है॥
विश्वनाथ इतिहास तुम्हारा, आज ध्वनित हो काव्य बना,
वर्तमान की विजय नींव,स्वर्णिम भविष्य संभाव्य बना॥
जहाँ जहाँ घन तिमिर, वहाँ पर भर दी दिव्य विभा प्यारी,
दुर्बल प्राणों की नस - नस में, फूंकी जीवन चिंगारी॥
उनकी विभा प्रदीप्त करें है, जन मन का कोना कोना,
ले ले नाम अगर दुश्मन भी,चमक उठे बन कर सोना॥
काशी में वरदान मिला था, तुम रण कभी विजेय नहीं,
रजकण हो या परिजात तुम,कोई रूप अगेय नहीं॥
एक एक जनगणमन जिनको, पल पल शीश झुकाते हैं,
जिनकी एक झलक पाने को,निज सौभाग्य बताते हैं॥
कर्णधार भारत के नाविक, अविचल लक्ष्य तुम्हारा है,
विजय - पथ के तुम अनुगामी,यह सौभाग्य हमारा है॥
प्रति पल नव उत्साह सृजित हो, जन जन मध्य समाता है,
हुंकार जहाँ तुम भरते हो,इतिहास बदलता जाता है॥
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