रीता गौतम
सागर की खामोशी कब तक।
नदिया की मदहोशी कब तक।
झरनों का झर - झर झरना कब तक,
तालाबों का मिटना क्यूँ कब तक।
सूरज का उगना होता कब तक,
चंदा की चमके चाँदनी कब तक।
तारे टिम - टिम करते कब तक,
जुगनू का होगा जगना कब तक।
अम्बर का धरती पर झुकना कब तक,
धरती का अम्बर को तकना कब तक।
आशा और निराशा कब तक,
जीवन की परिभाषा को तक।
कलियों का खिलना कब तक,
भौरों का फूलों पर रूकना कब तक।
जाने कितनी बातें कब तक,
करना होगा सबको कब तक।
चढ़ना होगा चट्टानों पर कब तक,
रेत का उड़ना होगा कब तक।
समय रहेगा ऐसा कब तक,
सहना होगा हमको कब तक।
सागर की खामोशी कब तक।
नदिया की मदहोशी कब तक।
झरनों का झर - झर झरना कब तक,
तालाबों का मिटना क्यूँ कब तक।
सूरज का उगना होता कब तक,
चंदा की चमके चाँदनी कब तक।
तारे टिम - टिम करते कब तक,
जुगनू का होगा जगना कब तक।
अम्बर का धरती पर झुकना कब तक,
धरती का अम्बर को तकना कब तक।
आशा और निराशा कब तक,
जीवन की परिभाषा को तक।
कलियों का खिलना कब तक,
भौरों का फूलों पर रूकना कब तक।
जाने कितनी बातें कब तक,
करना होगा सबको कब तक।
चढ़ना होगा चट्टानों पर कब तक,
रेत का उड़ना होगा कब तक।
समय रहेगा ऐसा कब तक,
सहना होगा हमको कब तक।
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