सुदामा दुबे
हरे भरे वन उपवन प्रकृति के गाँव में
छाँव ठंडी - ठंडी सी प्रकृति के गाँव में!!
निर्झर मचलता है अपने अंदाज में!
सरसर करते है पात प्रकृति के गाँव में!!
पंछी सुनाते राग मस्ती में बॉबरे
सरिता बजाती साज प्रकृति के गाँव में!!
झूमता समीर यहाँ अल्हड़ अलबेला सा
भरते कुलाचें जीव प्रकृति के गाँव में!!
चटकती चंचल कलियाँ इसके घर आँगन में
महकते प्रसून देखो प्रकृति के गाँव में!!
छाँव ठंडी - ठंडी सी प्रकृति के गाँव में!!
निर्झर मचलता है अपने अंदाज में!
सरसर करते है पात प्रकृति के गाँव में!!
पंछी सुनाते राग मस्ती में बॉबरे
सरिता बजाती साज प्रकृति के गाँव में!!
झूमता समीर यहाँ अल्हड़ अलबेला सा
भरते कुलाचें जीव प्रकृति के गाँव में!!
चटकती चंचल कलियाँ इसके घर आँगन में
महकते प्रसून देखो प्रकृति के गाँव में!!
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