आलेख
छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ, लोकगीतों में लोक आकांक्षा - परंपरा की अभिव्यक्ति - कुबेर
डॉ. पीसी लाल यादव के कविता म पीरित अउ पीरा के आरो - यशपाल जंघेल
शोध आलेख
नरेश मेहता के उपन्यासÓ यह पथ बन्धु थाÓ में लोक सांस्कृतिक परिदृश्य के विविध रुप - शोधार्थी आशाराम साहू
Ó जमुनीÓ कहानी संग्रह में लोक जीवन और लोक संस्कृति - शोधार्थी जीतलाल
लोक गीतों में झलकती संस्कृति का प्रतीक होली - आत्माराम यादव Ó पीवÓ
कहानी
संतगीरी - सनत कुमार जैन
अनुत्तरित - राकेश भ्रमर
छत्तीसगढ़ी कहानी
फिरंतीन -शिवशंकर शुक्ल
व्यंग्य
कवि, कहानी कब लिखता है - हरिशंकर परसाई
अंग्रेजी लाल की हिन्दी - वीरेन्द्र Ó सरलÓ
कविता/ गीत/ गजल
धरती के बेटा - पाठक परदेशी (छत्तीसगढ़ी गीत),
धन - धन से मोर किसान - द्वारिका प्रसाद Ó विप्रÓ (छत्तीसगढ़ी गीत)
लघुकथा
अंधी का बेटा
लघु व्यंग्य
अगले जनम मोहे कुतिया कीजो
बोध कथा
लोमड़ी की तरह नहीं, शेर की तरह बनो
छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ, लोकगीतों में लोक आकांक्षा - परंपरा की अभिव्यक्ति - कुबेर
डॉ. पीसी लाल यादव के कविता म पीरित अउ पीरा के आरो - यशपाल जंघेल
शोध आलेख
नरेश मेहता के उपन्यासÓ यह पथ बन्धु थाÓ में लोक सांस्कृतिक परिदृश्य के विविध रुप - शोधार्थी आशाराम साहू
Ó जमुनीÓ कहानी संग्रह में लोक जीवन और लोक संस्कृति - शोधार्थी जीतलाल
लोक गीतों में झलकती संस्कृति का प्रतीक होली - आत्माराम यादव Ó पीवÓ
कहानी
संतगीरी - सनत कुमार जैन
अनुत्तरित - राकेश भ्रमर
छत्तीसगढ़ी कहानी
फिरंतीन -शिवशंकर शुक्ल
व्यंग्य
कवि, कहानी कब लिखता है - हरिशंकर परसाई
अंग्रेजी लाल की हिन्दी - वीरेन्द्र Ó सरलÓ
कविता/ गीत/ गजल
धरती के बेटा - पाठक परदेशी (छत्तीसगढ़ी गीत),
धन - धन से मोर किसान - द्वारिका प्रसाद Ó विप्रÓ (छत्तीसगढ़ी गीत)
लघुकथा
अंधी का बेटा
लघु व्यंग्य
अगले जनम मोहे कुतिया कीजो
बोध कथा
लोमड़ी की तरह नहीं, शेर की तरह बनो
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