इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

रविवार, 22 मई 2016

लुंगी पर एक शोध प्रबंध

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

        प्रस्तुत अंश देश के होनहार एवं प्रगतिशील विचारधारा वाले समाज शास्त्र के एक पी. एच. डी. के एक छात्र द्वारा प्रेषित शोध प्रबंध से लिया गया है। वह छात्र मेरे पास आया था एवं लुंगी पर लिखा यह अद्वितीय एवं अमूल्य शोध प्रबंध मुझसे जंचवाया था। मैंने अपनी तीसरी एवं सबसे तरोताजा प्रेमिका के सहयोग से राष्ट्रहित में लिखा गया एवं समकालीन पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता यह शोध प्रबंध ओ. के. कर दिया है पाठक गण भी इस उच्च कोटि के शोध प्रबंध को मुक्त कंठ् से स्वीकार करेंगे ऐसी आशा है।
        लुंगी राष्ट्रीय एकता की पहचान हैए क्योंकि वह जन्म से महान है। लुंगी शिव है, सुंदर है, सत्य है अन्य कोई भी वस्त्र गुलाम है, सेवक है, अंग्रेजों का भक्त है। लुंगी सौम्य है। सरल है। भारत की तरह अखंड है। कुरते की प्राणेश्वरी है। शक्ति में प्रचंड है।
          उत्तर से दक्षिण तक लुंगी का राज्य है। पूर्व से पश्चिम तक लुंगी का साम्राज्य है। लोग लुंगी पहनते हैं। ओढ़ते हैं। बिछाते हैं। रस्सी न हो तो लुंगी को बाल्टी में लगाते हैं। कामवाली बाई लुंगी का पोंछा बना लेती है। झाड़ू न हो तो लुंगी से झाड़ू लगा देती है। लुंगी अपनी और बच्चों की नाक पोंछने के काम आती है। लुंगी विवाह मंडप में गठजोड़ का भी काम कर जाती है। लुंगी में परिवार के लिये सब्जी बांधकर लाई जा सकती है। लुंगी पर बैठकर दाल रोटी खाई जा सकती है।
        फैली हुई लुंगी धूप में छाया का काम करती है। लुंगी को कुंडी बनाकर पनिहारन सिर पर घड़ा रखती है। लुंगी माननीय लालूजी की पहचान है। लुंगी सम्माननीय करुणानिधि का संविधान है। लुंगीवला बच्चों को खिलोने लाता है। लुंगीराम सुंदरियों को चूड़ी पहनाता है। लुंगी बेड रूम की शान होती है। लुंगी अच्छे पति की पहचान होती है।शहर के दादा लुंगी धारण कर सड़कों पर बेधड़क घूमते हैं। लुंगीधारी बेरोजगार बस स्टेंड पर कन्याओं को घूरते हैं।
        लुंगी पहनने वाला मरकर सीधे स्वर्ग जाता है। लुंगी विहीन नरक में ही जगह पाता है। लुंगी पहनकर लोग संसद में पहुंच जाते हैं। लुंगी के कारण ही वे टिकिट पाने में सफलता पाते हैं। साड़ी को फाड़कर लुंगी बनाई जा सकती है। तीन लुंगियों को मिलाकर एक साड़ी सिलवाई जा सकती है। लुंगी पहनने व उतारने में सरल होती है। लुंगी की गयी साधना सफल होती है। लुंगी संभालने में हाथ पैर सदा व्यस्त रहते हैं, इसलिये लुंगीधारी सदा स्वस्थ रहते हैं।
        लुंगी सस्ती होती है। सुंदर होती है। टिकाऊ होती है। किसी नेता के ईमान की तरह बिकाऊ होती है। लुंगी सर्वधर्म संभाव की हामी है। हिन्दू मुस्लिम सिख हर व्यक्ति लुंगी का अनुगामी है। लुंगी फैलाकर चंदा उगा सकते हैं। लुंगी से गले में फंदा लगा सकते हैं। लुंगी इंसान को एक अनुपम उपहार है। बूढ़े और जवान सभी को लुंगी से प्यार है। लुंगी पहनकर लोग राष्ट्रपति प्रधान तक बन जाते हैं। लुंगी विहीन संतरी पद पर ही सड़ जाते हैं। बड़े - बड़े लोग लुंगी को सलाम करते हैं, चोर उठाईगीर आतंकवादी तक प्रणाम करते हैं। लुंगी ब्रह्मा का दुर्लभ वरदान है। भरत वंशियों को लुंगी पर बड़ा अभिमान है। लुंगी पहनकर वीरप्पन ने देश में नाम कमाया। लुंगी लपेटकर लालूजी ने बिहार चलाया।
        लुंगी का राष्ट्रीकरण जरूरी है। समझ में नहीं आता सरकार को क्या मजबूरी है। लुंगीवाद को हम सरकारी मान्यता दिलायेंगे। यदि अनदेखी हुई तो हम हड़ताल पर बैठकर भूखे मर जायेंगे। अब हम घर घर जायेंगे लुंगीवाद चलायेंगे। बच्चे वृद्ध जवानोँ को हम लुगी पहनायेंगे और हर लुंगी धारी को राष्ट्रप्रेम सिखलायेंगे।
लुंगी जिन्दाबाद, लुंगीवाद जिंदाबाद।
        आपका ही पी.एच. डी. का तमगा प्राप्त करने का अभिलाषी एक योग्य उम्मीदवार लुंगीराम लुंगीवाला।

पता
12 शिवम् सुंदरम नगर 
छिंदवाड़ा ( म प्र.)

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