चाँद ' शेरी'
उनकी यादों का जो पलकों पै बसेरा होगा।
जगमगाते हुए दीपों में सबेरा होगा।।
प्यार की बीन पे नाच उठे जो नागिन की तरह
मीत उस गाँव की गोरी का सपेरा होगा।
ऐ - ग़ज़ल जिसने हसीं नक्श उभारे तेरे
माहिरे - फ़न वो अजन्ता का चितेरा होगा
काफिले को था यहीं जिस की निगाहेबानी पर
क्या ख़बर थी वो निगहेवां ही लुटेरा होगा
था वहाँ नामों - निशां भी न शजर का कोई
हमने सोचा था वहाँ साया घनेरा होगा
जिनके ज़ेहनों में न दर है न दरीचा कोई
उनके आगे तो अँधेरा ही अँधेरा होगा
कब किसी का ये जहाँ हो के रहा है ' शेरी'
फिर तुझे कैसे यक़ीं है कि ये तेरा होगा
पता -
के 30 आईपीआई ए
रोड नं. 1, कोटा - 5 (राजस्थान)
मोबाईल : 09829098530
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें