आनन्द तिवारी पौराणिक
है वही डफली पुरानी,
और वही है राग।
होने लगी दस्तक घरों में,
जाग, वोटर जाग
उड़ा करते थे जो खटोलों में।
चल रहे पैदल, गली - मुहल्लों में।।
नम्रता की मूर्ति बनते अनमने।
दु:ख - दर्द, जनता का लगे बाँटने।।
हंसकर चोला पहनकर
आ रहे हैं काग।
जाग, वोटर जाग
उद्देश्य सीमित वोट बस
पद, प्रतिष्ठा, नोट बस
फिर बन जाएंगे धृतराष्ट्र
रसातल में जाये चाहे राष्ट्र
जुगत लगाते - दिखाते सब्जबाग।
जाग, वोटर जाग
पता-
श्रीराम टाकीज मार्ग
महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
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